बेअदबी के दोषियों की पीढ़ी को दी जा रही है पनाह: कौमी इंसाफ मोर्चा
चंडीगढ़। आज किसान भवन में धार्मिक हस्तियों, किसान यूनियनों, मजदूर यूनियनों, व्यापारिक संगठनों और पंथक संगठनों की संयुक्त बैठक ने चंडीगढ़ में लगभग 30 महीनों से चल रहे कौमी इंसाफ मोर्चा के संघर्ष को एक नया मोड़ और ताकत दी । बैठक के दौरान किसान संगठनों, पंथक संगठनों, धार्मिक हस्तियों के कौमी इंसाफ मोर्चा के प्रमुख नेता प्रोफेसर मंजीत सिंह श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार, बाबा सेवा सिंह रामपुर खेड़ा, बाबा गुरसेवक सिंह शेहनी साहिब, बापू गुरचरण सिंह, पॉल सिंह फ्रांस, गुरदीप सिंह बठिंडा, निहंग सिंह राजा राज सिंह, बलविंदर सिंह फिरोजपुर, डॉ. दर्शन पाल सिंह केकेयू, बलवीर सिंह राजेवाल सुरजीत सिंह फूल बी.के.यू. सतनाम सिंह बेहरू, जसबीर सिंह सिधूपुर यूनियन, रेशम सिंह कादियान किसान यूनियन, मजदूर नेता तरसेम योधन मौजूद थे। आज की बैठक से यहां सरकार की मुश्किलें बढ़ी हैं, वहीं पंजाब में सांप्रदायिक सद्भाव को भी मजबूती मिली है। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि इन मांगों को लेकर किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन या मांग पत्र की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये सरकार का प्राथमिक कर्तव्य है। पंजाब सरकार सरासर झूठ बोल रही है कि यह मामला केवल केंद्र सरकार का है। पंजाब सरकार जत्थेदार जगतार सिंह हवारा, सरदार बलवंत सिंह राजोआना, परमजीत सिंह भ्योरा व अन्य की रिहाई व पैरोल के विरोध में उच्च न्यायालयों व केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेज रही है। वह बहबल गोलीबारी मामले में गठित एसआईटी की अंतिम रिपोर्ट को भी लागू नहीं कर रही है। इसी प्रकार, पिछली सरकारों के रास्ते पर चलते हुए, बेअदबी के दोषियों की पीढ़ी को पनाह दी जा रही है। पंजाब सरकार जेल में बंद सिखों को पैरोल देकर उनकी रिहाई की सिफारिश केंद्र सरकार से कर सकती है। लेकिन सरकार इस दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। सरकार 30 महीने से चल रहे कौमी इंसाफ मोर्चा की बात भी सुनने को तैयार नहीं है। यह सरकार की तानाशाही और अहंकार का प्रतीक है। सरकार के सर्वे के खिलाफ 15 मई को पंजाब की सभी तहसीलों में रोष मार्च निकाला जाएगा तथा पंजाब के राज्यपाल व देश के राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को चेतावनी पत्र दिए जाएंगे। इन राष्ट्राध्यक्षों और देश को चेतावनी पत्रों के माध्यम से सूचित किया जाएगा कि देश की सरकारें तानाशाही की ओर बढ़ रही हैं। कौमी इंसाफ मोर्चा की मुख्य मांगों को लेकर ये विरोध मार्च तहसीलों के निकट स्थित गुरुद्वारों से निकाले जाएंगे। आज की बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा किसान संगठनों को बैठक में बुलाकर उन्हें गिरफ्तार करने की कपटपूर्ण कार्रवाई तथा राजनीतिक अनैतिकता की निंदा की गई। किसानों पर सड़कें व रास्ते रोकने का लगाया गया आरोप पूरी तरह से गलत है, जबकि रास्ता हरियाणा सरकार ने रोका था। पुलिस ने लोकतांत्रिक तरीके से हो रहे आंदोलन पर विदेशी आक्रमणकारियों की तरह हमला किया और किसानों का सामान चुरा लिया। पंजाब के लोगों को इसका कड़ा विरोध करना चाहिए और सरकार को किसानों को उनके नुकसान की पूरी भरपाई करनी चाहिए। आज की बैठक में देश के अन्य राज्यों की तरह पंजाब के साथ भी व्यापार मार्ग खोलने की मांग की गई। इस मौके पर सुखजीत सिंह खोसा, रविंदर सिंह वजीदपुर, बलविंदर सिंह काला झाड़, बूटा सिंह रणसिह, एडवोकेट हरप्रीत सिंह संधू, एडवोकेट गुरशरण सिंह, इकबाल सिंह दिल्ली, दलजीत सिंह, हरी सिंह अकाल फौज, करमजीत सिंह नंबरदार चिल्ला, पाल सिंह घरुआं, गुरदीप सिंह भट्टी किसान मजदूर नेता, मनोज शेखावत खाप पंचायत, सुख गिल मोगा प्रदेश अध्यक्ष बीकेयू तोतेवाल, बलबीर सिंह बैरमपुर, बलजीत सिंह सहित सैकड़ों प्रतिनिधि मौजूद थे। भाऊ, राजा सिंह जाट महासभा मौजूद रहे।