चंडीगढ़। शूलिनी यूनिवर्सिटी के जीवंत थिएटर विंग, शूलिनी क्रिएटिव स्टूडियो, ने अपनी नवीनतम प्रस्तुति नाटक पैरासिटामोल के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जो कि प्रसिद्ध फ्रेंच नाटककार मो मोलियर के व्यंग्यात्मक नाटक द डॉक्टर इन स्पाइट ऑफ हिमसेल्फ का रूपांतरण है। यह नाटक टैगोर थिएटर में मंचित किया गया। शूलिनी यूनिवर्सिटी के परफॉर्मिंग आर्ट्स विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और अनुभवी रंगमंच कलाकार अंकुर बशार द्वारा निर्देशित यह नाटक एक चुटीला और ऊर्जावान व्यंग्य है, जो डॉक्टरों पर अंधविश्वास और सामाजिक मान्यताओं की बेतुकियों पर करारा कटाक्ष करता है। ‘नाटक पैरासिटामोल’ की कहानी मज़ेदार ढंग से गूंथे गए किरदार स्गनरेल के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक लकड़हारा है, लेकिन गलती से उसे डॉक्टर मान लिया जाता है। धोखे, पहचान की गलती और सामाजिक आलोचना से भरी घटनाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से यह नाटक सामने आता है, जिसमें घरेलू हिंसा, शिक्षा तक पहुंच और सामाजिक-आर्थिक असमानता जैसे विषयों को उठाया गया है—जो मोलिएर के समय जितने प्रासंगिक थे, आज भी उतने ही हैं। अंकुर बशार ने कहा कि इस साल हमने हास्य को एक राजनीतिक कृत्य के रूप में चुना है। आज की दुनिया में हास्य अक्सर राजनीतिक होता है और राजनीति, गहराई से हास्यास्पद। मोलिएर का लेखन आज भी आधुनिक समाज की पाखंडपूर्ण वास्तविकताओं को दर्शाता है, जिससे यह एक छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शन के लिए आदर्श बन जाता है—जो न केवल मनोरंजक है, बल्कि विचारोत्तेजक भी है। प्रतिभाशाली छात्र कलाकारों की एक टीम द्वारा प्रस्तुत इस नाटक में समर्थ सिंह ठाकुर, अभिजीत नायर, दक्ष पारिख, रजत शर्मा, दिबंसी राणा, सुनिधि देव, लक्ष्मी वसुधरा मामिडी और कई अन्य ने जीवंत भूमिकाएं निभाईं। संगीत निर्देशन अभिजीत नायर और लक्ष्मी वसुधरा द्वारा किया गया, जिसमें छात्र संगीतकारों द्वारा तैयार मूल रचनाएं मंच पर लाइव प्रस्तुत की गईं।क्रिएटिव टीम में स्टेज डिज़ाइन के लिए सुनिधि देव और अंकुर बशार, लाइट डिज़ाइन के लिए उज्ज्वल कुमार और कोरियोग्राफर के रूप में खुशी माहेश्वरी शामिल थे। इस नाटक के संपूर्ण प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रशांत कुमार ने निभाई, जबकि कॉस्ट्यूम और म्यूरल्स का काम शिबानी द्वारा किया गया।