चंडीगढ़। एशिया के प्रमुख जलवायु थिंक टैंकों में से एक, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर ने चंडीगढ़ में “हाउ कैन इंडियन सीटीज अचीव सस्टेनेबल एंड इन्क्यूसिव मोबिलिटी थ्रू शेयर्ड ट्रांसपोर्ट ? विषय पर सीईईडब्ल्यू की कार्यशाला सीरीज फ्यूचर ऑफ अवर सिटीज के तहत एक राउंडटेबल परिचर्चा का आयोजन किया। सीईईडब्ल्यू के शोधकर्ताओं ने बताया कि निजी वाहनों पर अत्यधिक निर्भरता उत्सर्जन, सड़कों पर भीड़भाड़ और ईंधन की मांग लाती है, जिसे बढ़ने से रोकने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक परिवहन और आवागमन के स्वच्छ विकल्पों को तेजी से अपनाने की जरूरत है। उन्होंने शहरों में सतत आवागमन सुनिश्चित करने के लिए बसों की संख्या में विस्तार, इंटरमीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट – ऑटो रिक्शा और विक्रम – के इलेक्ट्रिफिकेशन और लैंगिक समावेशीकरण को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का बदलाव रफ्तार पकड़ रहा है, 2024-25 में 10 लाख से अधिक ईवी यूनिट्स की बिक्री हुई। यह वृद्धि राष्ट्रीय नीतियों , राज्य-स्तरीय ईवी नीतियों और उपभोक्ताओं के बढ़ते भरोसे के कारण आ रही है। इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर श्रेणी में विशेष रूप से सबसे तेज वृद्धि देखी गई है। पंजाब के पास अमृतसर में राही परियोजना की सफलता की एक सशक्त कहानी है। सीईईडब्ल्यू ने इस प्रोजेक्ट में अमृतसर नगर निगम का सहयोग किया है। इस पहल ने ईवी अपनाने में आने वाली इन प्रमुख बाधाओं को सफलता के साथ दूर किया है। डीजल की जगह इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों (ई-ऑटो) को अपनाने के लिए 1.5 लाख रुपये की शुरुआती सब्सिडी दी गई। औपचारिक बैंक ऋणों तक पहुंच को आसान बनाया गया, जिससे ड्राइवरों को अनौपचारिक कर्ज से बचने में मदद मिली। ई-ऑटो के प्रदर्शन और आर्थिक लाभों में ड्राइवरों का विश्वास बढ़ाने के लिए सूचना अभियान और वाहन प्रदर्शन आयोजित किए गए। प्रमुख स्थानों पर विशेष रूप से निर्मित चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया गया, जिससे ई-वाहनों को चार्ज करने में आसानी हुई।इस परियोजना ने पहले ही 1,200 पुराने डीजल वाहनों को नए इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल दिया है, जिससे ड्राइवरों की आजीविका में सुधार आया है और सालाना उत्सर्जन में काफी कमी आई है। डॉ. हिमानी जैन, फेलो, सीईईडब्ल्यू ने कहा कि सीईईडब्ल्यू के अध्ययन दिखाते हैं कि ईवी परिवर्तन से वित्तीय बचत तो बहुत ही स्पष्ट है, लेकिन इसे अपनाने में विश्वास, साथियों का प्रभाव और संचार भी मायने रखता है। वहीं, परिवहन संबंधी सरकारी नीतियों में महिलाए अक्सर बाहर छूट जाती हैं। लेकिन पंजाब की पिंक ई-ऑटो योजना ने दिखाया है कि सही नियोजन से यह कितनी जल्दी बदलाव आ सकता है। व्यवहार संबंधी जानकारियों और लैंगिक समावेश को नीति में शामिल करके, पंजाब अपने पायलट प्रोजेक्ट को आगे विस्तार बढ़ा सकता है और भारत में ईवी परिवर्तन के अगले चरण का नेतृत्व कर सकता है। इस तरह से सस्टेनेबल मोबिलिटी को प्रोत्साहित करने के लिए इन प्रमुख उपायों को अपनाने का सुझाव देते हैं। पहला, निजी वाहनों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प देने की मुख्य रणनीति के तौर पर सार्वजनिक बसों की संख्या को तेजी से विस्तार देना चाहिए। दूसरा, अमृतसर की राही परियोजना की स्थापित सफलता का लाभ उठाते हुए, लक्षित सब्सिडी, औपचारिक वित्तीय सहायता, ड्राइवर-केंद्रित जागरूकता और सभी प्रमुख शहरों में रणनीतिक चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से मीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इलेक्ट्रिफिकेशन को विस्तार देना चाहिए। तीसरा, राज्यों की आवागमन की नीतियों में लिंग-अनुकूल उपायों को शामिल करना चाहिए- जैसे महिला ड्राइवरों के लिए उच्च सब्सिडी, एनयूएलएम जैसे स्थानीय संस्थानों के साथ साझेदारी, और प्रशिक्षण व लाइसेंस तक बेहतर पहुंच। अंत में, सभी ड्राइवरों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए सुरक्षा और सुविधा को सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन, बेहतर स्ट्रीट लाइट, स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय और सुरक्षित पार्किंग क्षेत्रों जैसे सहायक बुनियादी ढांचे का विकास करना चाहिए।

