Thursday, November 13, 2025
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वित्तीय अनियमितताओं को लेकर धरने पर बैठा तैराकी कोच

चंडीगढ़। कोई और विकल्प न होने के कारण, प्रिंसिपल के कार्यालय के सामने धरने पर बैठा गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर 11 चंडीगढ़ का तैराकी कोच, क्योंकि प्रिंसिपल किसी भी नियम का पालन करने की ज़हमत नहीं उठा रहे हैं, वित्तीय अनियमितताओं के बारे में भी चिंता नहीं कर रहे हैं और एप्लीकेशन उच्च अधिकारियों को भेजने से भी इनकार कर रहे हैं, जिसमें से निम्न है, तैराकी प्रतियोगिता के संबंध में प्राप्त कोई भी पत्र मुझे नहीं भेजा जा रहा है, जिससे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा निर्धारित तैराकी शुल्क डॉ. राजेश दहिया द्वारा जमा नहीं किया गया है। मामले की सूचना प्रिंसिपल को दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई,जिससे गंभीर वित्तीय अनियमितताएँ हो रही हैं। प्रिंसिपल शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और न ही मेरी एप्लीकेशन उच्च अधिकारियों को उनके निवारण के लिए भेजे जा रहे हैं। कार्यालय के कर्मचारियों को कोई भी पत्र प्राप्त न करने का निर्देश दिया गया है। एक ओर, प्रिंसिपल ने मुझे परीक्षा क्लर्क से विश्वविद्यालय की प्रायोगिक सामग्री लेने का निर्देश दिया, वहीं दूसरी ओर किसी अन्य व्यक्ति को आंतरिक परीक्षक नियुक्त कर दिया जबकि नियमों के अनुसार, कक्षा में पढ़ाने वाला व्यक्ति ही आंतरिक परीक्षक हो सकता है। यह कुछ भी नहीं है, वे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। प्राचार्य ने अपने दिनांक 11.09.2025 के नोटिस द्वारा निम्नलिखित आदेश जारी किए:-
इसके द्वारा यह आदेश दिया जाता है कि अब से शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग में कार्यरत सभी प्रशिक्षक (यह भली-भांति जानते हुए कि महाविद्यालय में केवल एक ही प्रशिक्षक है) और सहायक कर्मचारी, शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगे, जो सभी आधिकारिक एवं प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए उनके प्रथम रिपोर्टिंग अधिकारी होंगे। यह भली-भांति जानते हुए कि विभागाध्यक्ष बहुत हैं, फिर भी ऐसी शक्तियाँ केवल शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष को ही क्यों दी गई हैं, जो एक भी कक्षा नहीं ले रहे हैं। बातचीत के दरमियान परमिंदर ने बताया कि राजेश दहिया को 2018-2019 में मेरी शिकायत के बाद हुई इन्क्वायरी मे एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन पता नहीं कैसे वह फिर वापस आ गए हैं। इसके अलावा कोई आरटीआई डालते हैं तो उसका जवाब भी नहीं मिलता। यह किसी भी कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा किया जा रहा तानाशाही रवैया है जो छात्रों के भविष्य के लिए घातक है। मेरा एडमिनिस्ट्रेशन से आग्रह है कि इस मामले की गंभीरता से जांच की जाए और नियमों के अनुसार कॉलेज को चलाया जाए।

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