चंडीगढ़ । प्रदेश में क्षत्रिय समाज के हितो की रक्षा के लिये जल्द ही ‘क्षत्रिय कल्याण बोर्ड’ का गठन हो जिससे की राजपूत समाज की जो आधिकारिक मांगें लंबित है उन पर शीघ्रतापूर्वक संज्ञान लिया जाये। यह पुरजोर मांग ‘क्षत्रिय स्वाभिमान संघर्ष समीति, हरियाणा’ के पदाधिकारियों ने सोमवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में समिति के सदस्यों ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान रखी। समीति के सदस्यों ने बात पर बल दिया कि हरियाणा में जातिगत जनगणना हो, जिससे राजपूत समाज की सही संख्या दर्ज की जाये जो हरियाणा क्षत्रिय कल्याण बोर्ड के विमर्श और सहयोग से ही संभव है। वार्ता को संबोधित करते हुये समीति के वरिष्ठ सदस्य विनोद कुमार थंबर और कर्नल देवेन्द्र सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुये बताया कि प्रदेश में महापुरुषों के इतिहास के साथ जो छेड़छाड़ हो रही है उस पर प्रदेश व केन्द्र सरकार तुरंत प्रभाव से रोक लगाये तथा इस दिशा में क्षेत्रिय कल्याण बोर्ड के गठन के बाद सरकार ऐसे कानून बनाये जो कि क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास को जाति के नाम पर बदलने की कोशिश करेगा उसे गैर जमानती अपराध घोषित किया जाये।
उन्होंने बताया कि गत दिनों सम्राट मिहिर भोज के नामकरण से गरमाई राजनीति के चलते क्षत्रिय समाज अत्यंत चिंतित है। प्रदेश में नामकरण को लेकर गुर्जर और राजपूत समुदाय के बीच उत्पन्न हुये विवाद को देखते हुये जो कमेटी गठित की गई थी उसका जल्द निष्कर्ष निकाला जाये जिससे की इतिहास में सम्राट मिहिर भोज का समाज में सम्मान कायम रहे। समिति ने यह भी मांग रखी की कैथल जिला अध्यक्ष अशोक गुज्जर को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए और उन पर पद के दुरुपयोग करने पर कानूनी कार्यवाही की जाये। थंबर ने मांग की है कि जिन अधिकारियों ने सम्राट मिहिर भोज प्रकरण को लेकर क्षत्रिय समाज के युवाओं पर लाठीचार्ज करवाया उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाये जबकि क्षत्रिय हिन्दू सम्राट मिहिर भोज को विवादित जातीय पहचान बनाकर गुर्जर शब्द लिखा गया है उसे तुरन्त प्रभाव से हटाकर महापुरुष का सम्मान बहाल किया जाये। इस अवसर पर मौजूद किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष ठाकुर पूर्ण सिंह ने भी क्षत्रिय समाज के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुये सरकार से इस दिशा में सौहार्दपूर्ण रवैया कायम रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि उनके समाज का युवा सेना या किसान बनता है तो देश को ताकत मिलती है। इसलिये क्षत्रिय कल्याण बोर्ड की देखरेख में यह सुनिश्चित किया जाये की सेना, पैरा मिल्ट्री, पुलिस आदि सैन्य सेवाओं मे भर्ती में समाज को उचित स्थान मिले। साथ उन्होंनें यह भी मांग कि है की क्षत्रियों से जुड़े पौराणिक और तीर्थ स्थलों पर क्षत्रिय कल्याण बोर्ड की निगरानी हो। बोर्ड के माध्यम से क्षत्रिय विशेष पर्वो की सूची बनाकर उनको मानने तथा उसके निमित शस्त्र प्रदर्शन की अनुमति और समाज को इसके निमित शस्त्र अधिनियम में छूट मिले। उन्होंनें कहा कि भारतीय इतिहास में क्षत्रियों का इतिहास भी गौरवपूर्ण रहा है इसलिये क्षत्रियों से संबंधित ऐतिहासिक सांस्कृतिक लेखन व फिल्म, नाट्यमंचन, सिनेमा आदि में तोड़ मरोड़ के न पेश किया जाये इसलिये क्षत्रिय कल्याण बोर्ड के द्वारा स्वीकृति सुनिश्चित की जाये। अकबर व पद्मावत फिल्म के दौरान दर्ज मुकदमे तथा राजपूत सम्राट मिहिर भोज आंदोलन के दौरान जिन क्षत्रिय युवाओं पर मुकदमा दर्ज हुये है जिसमें बोर्ड को अधिकार दिया जाये और फिल्मों के निर्माता, निदेशकों और अभिनेताओं पर कानूनी कार्यवाही बने।
क्षेत्रियों के इतिहास से छेड़छाड़ बिल्कुल मंजूर नहीं, इसलिये बोर्ड का गठन जरुरी
समाज यह भी मांग करता है पूर्व हरियाणा सरकार के वायदे अनुसार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में महाराणा प्रताप चेयर की घोषणा की गई थी जिसे अब क्षत्रिय कल्याण बोर्ड के गठन के बाद विचार विमर्श कर उसे जल्द स्थापित किया जाये।साथ ही विश्वविद्यालय में क्षत्रिय राजपूत इतिहास केन्द्र स्थापित हो।
क्षत्रिय स्वाभिमान संघर्ष समिति, हरियाणा ने इस इस बात पर बल दिया कि सरकार उनके मांगों पर शीघ्रता पूर्वक संज्ञान लेकर तत्काल से लागू करें जिससे की भविष्य में समाज के साथ उपरोक्त प्रकरण न घटित हो। उन्होंने चेताया कि मांगें न माने जाने पर समिति अपने आंदोलन को और मजबूत करेगी।