पंचकूला । दिल की गंभीर बीमारियों से पीड़ित बुजुर्ग मरीज व शारीरिक कमजोरी के कारण पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी संभव नहीं थी। ऐसे में टीएवीआई एक सुरक्षित और शीघ्र रिकवरी वाला विकल्प साबित हुआ है। यह बात जाने माने हृदय रोग माहिर डा. नवीन अग्रवाल ने कही, जिनके द्वारा हाल ही में 86 वर्षीय एक बुजुर्ग मरीज पर ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पारस हेल्थ पंचकूला मेजर जनरल (डा.) नवीन अग्रवाल, निदेशक कार्डियोलॉजी ने बताया कि पारस कैथ लैब में संपन्न हुई यह जटिल प्रक्रिया को हाल ही में हैदराबाद में आयोजित वाल्व सम्मेलन में लाइव प्रसारित की गई, जिसे इसे 800 से अधिक कार्डियोलॉजिस्ट और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की पैनल ने देखा। यह उत्तर भारत में पहली बार था जब टीएवीआई प्रक्रिया का लाइव प्रदर्शन किया गया। उन्होंने कहा कि टीएवीआई एक आधुनिक तकनीक है जिसमें क्षतिग्रस्त एओर्टिक वाल्व को पैर या छाती के माध्यम से कैथेटर द्वारा बदला जाता है, जिससे ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती। यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन मरीजों के लिए फायदेमंद है, जिनके लिए पारंपरिक सर्जरी जोखिमपूर्ण है। डा. नवीन अग्रवाल ने कहा कि युवाओं और बच्चों में मधुमेह और उच्च रक्तचाप सहित जीवनशैली संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं, जिससे हृदय रोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है। जीवन शैली की बीमारियों को नियंत्रित करके और तीन मंत्रों ‘स्वस्थ खाएं, नियमित व्यायाम करें और तनाव कम करें’, का पालन करके दिल से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।