पंजाब में लिवर हेल्थ ट्रेंड्स पर डाली रोशनी, समय पर जांच और लाइफस्टाइल में बदलाव की दी सलाह
चंडीगढ़ । पंजाब की सबसे बड़ी NABH-मान्यता प्राप्त सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल चेन लिवासा हॉस्पिटल्स ने आज प्रेस क्लब, चंडीगढ़ में वर्ल्ड लिवर डे के मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंजाब में बढ़ते लिवर रोगों, विशेषकर लिवर सिरोसिस, के मामलों पर जागरूकता फैलाना और लोगों को समय रहते जांच और बचाव के उपाय अपनाने के लिए प्रेरित करना था। पंजाब में अनुचित जीवनशैली, अधिक शराब सेवन, और समय पर इलाज की कमी के कारण लिवर रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राज्य में लिवर से जुड़ी बीमारियों की दर देश में सबसे अधिक में से एक है। डॉ. पवन कुमार, डायरेक्टर और सीईओ, लिवासा हॉस्पिटल्स ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि बचाव, जागरूकता और समुदाय की लंबी अवधि की सेहत को प्राथमिकता देना भी है। वर्ल्ड लिवर डे हमें याद दिलाता है कि लिवर की बीमारियां अक्सर चुपचाप बढ़ती हैं और अब यह राष्ट्रीय स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन रही है। हमारी टीम उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता से लैस है, लेकिन सबसे ज़रूरी है लोगों तक यह जानकारी पहुंचाना कि समय रहते जांच और स्वस्थ जीवनशैली ही सबसे बड़ा बचाव है। डॉ. (प्रोफेसर) अरुणांशु बेहेरा, डायरेक्टर और प्रोफेसर, HPB, GI सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट ने बताया कि दुनिया अब NAFELD (नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज) के बारे में जागरूक हो रही है, और भारत ने इसे 2021 में एक नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज घोषित किया था। अब लिवर सिरोसिस सिर्फ वृद्धावस्था की समस्या नहीं रही – 30 साल की उम्र में भी लोग गंभीर लिवर रोग लेकर आ रहे हैं। देर से जांच और जागरूकता की कमी इलाज को जटिल बना देती है। इस साल की थीम है ‘Food is Medicine’, इसलिए सभी को सलाह है कि समय रहते लिवर की जांच करवाएं और स्वस्थ आहार अपनाएं। डॉ. सुमीत कंठ, सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपाटोलॉजी ने कहा कि पंजाब में शराब से जुड़ा लिवर सिरोसिस एक मुख्य चिंता है। यह बीमारी पूरी तरह से बचाव योग्य है, लेकिन जांच की कमी और समय पर डॉक्टर से परामर्श न लेने के कारण कई मरीज गंभीर अवस्था में पहुंच जाते हैं।

हमारे पास लिवर ट्रांसप्लांट सहित सभी जटिल मामलों को संभालने के लिए मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम है। डॉ. दिविज जयंत, एसोसिएट कंसल्टेंट – HPB और जनरल सर्जरी ने साझा किया,”लिवर की स्थिति का प्रभाव सामान्य सर्जरी पर भी पड़ता है। जब लिवर स्वस्थ नहीं होता, तो मामूली सर्जरी भी हाई-रिस्क हो जाती है। इसलिए सर्जरी से पहले लिवर की जांच और उसे दुरुस्त करना बेहद जरूरी है। डॉ. पंकज कुमार, सीनियर कंसल्टेंट – गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ने कहा, “हम अपनी प्रैक्टिस में रोज़ देखते हैं कि मरीजों को यह पता ही नहीं होता कि उनके लिवर को नुकसान हो रहा है। अधिकतर मामले तब पकड़ में आते हैं जब बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है। समुदाय में जागरूकता और नियमित हेल्थ चेक-अप ही इसका समाधान है। डॉ. योगेंद्र कुमार, कंसल्टेंट – गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपाटोलॉजी ने कहा कि “हालांकि अब इलाज के विकल्प काफी बेहतर हैं, लेकिन बचाव ही सबसे प्रभावशाली तरीका है। सही जीवनशैली, हेपेटाइटिस के टीके और समय पर डॉक्टर से संपर्क करके कई लिवर समस्याओं से बचा जा सकता है। हमें रिएक्टिव से प्रोएक्टिव हेल्थ केयर की ओर बढ़ना होगा।