Thursday, October 23, 2025
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बृजेन्द्र सिंह ने की राज्यव्यापी ‘सद्भाव यात्रा’ की घोषणा

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से प्रेरित, यह यात्रा  कांग्रेस  के दृष्टिकोण और मूल्यों को सीधे हरियाणा के लोगों तक पहुंचाएगी

चण्डीगढ़ । हरियाणा में सामाजिक एवं राजनीतिक नवीनीकरण का नया दौर शुरू होने जा रहा है क्योंकि सद्भाव यात्रा प्रदेश की धरती पर कदम रखने के लिए तैयार है। 5 अक्टूबर को नरवाना निर्वाचन क्षेत्र के दनौदा गांव से शुरू होने वाली इस यात्रा का नेतृत्व कांग्रेस  के वरिष्ठ नेता और सांसद के पूर्व सदस्य बृजेन्द्र सिंह करेंगे, जो दिग्गज नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के पुत्र हैं। पिछले दशक के दौरान सद्भाव यानि भाईचारे की भावना तनाव में आ गई है क्योंकि भाजपा ने अपनी विभाजनकारी राजनीति के ज़रिए हरियाणा में जातिगत, क्षेत्रीय एवं साम्प्रदायिक मतभेदों को बढ़ावा दिया है। सद्भाव यात्रा का उद्देश्य हरियाणवी समाज में भाईचारे की भावना को पुनःजीवित करना है। यह यात्रा राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों को भी उजागर करेगी, जिसमें वोट चोरी (चुनावी कदाचार), विदेश नीतियों की असफलता और अंतर्राष्ट्रीय अलगाव, पेपर लीक, बेरोज़गारी, खराब कानूनी व्यवस्था, कृषि संकट, सरकारी कर्मचारियों की शिकायतें, दोषपूर्ण नौसेना भर्ती प्रक्रिया और भाजपा सरकार के तहत लोकतांत्रिक संस्थानों की गुणवत्ता गिरना शामिल है। इस अवसर पर बृजेन्द्र सिंह ने कहा कि “कांग्रेस  हमेशा से एकजुटता में भरोसा रखती है और हरियाणा को भाईचारे की जरूरत पहले से कहीं अधिक है। यह यात्रा केवल राजनीतिक यात्रा नहीं बल्कि सद्भाव को पुनःजीवित करने का मिशन है, किसानों, मजदूरों, युवाओं, कारोबारियों एवं महिलाओं की आवाज़ उठाने का एक जन अभियान है। सद्भाव यात्रा के माध्यम से हम हरियाणा की सभी 36 बिरादरियों में भाईचारे और न्याय को बढ़ाने के लिए एकजुट होकर मार्च कर रहे हैं। यह पदयात्रा राज्य के सभी 90 निर्वाचन क्षेत्रों: नरवाना, कलायत, सफीदों, जींद, जुलाना, नारनौंद, उचाना, उकलाना, बरवाला, बवानी खेड़ा, हांसी, हिसार, नलवा और आदमपुर से होकर गुज़रेगी। यात्रा के नारे ‘कांग्रेस  का हाथ, भाईचारे के साथ’ का उद्देश्य हरियाणा में सामाजिक सद्भाव को पुनःजीवित करते हुए लोगों को एकजुट करना है। यह हरियाणा की 36 बिरादरियों की साझा धड़कन को दर्शाती है। यात्रा का लोगो हरियाणा की पहचान और सामुहिक भावना का प्रतीक है, जिसमें दो उठे हुए हाथ दिखाई दे रहे हैं- नारंगी जो साहस और बलिदान का प्रतीक है तथा हरा जो कृषि एवं समृद्धि का प्रतीक है- ये हाथ जवान और किसान की धरती का जश्न मनाते हैं। बीच में तिरंगे के घेरे में कांग्रेस का हाथ है जो सद्भाव, समावेशन और एकजुटता को दर्शाता है। सद्भाव यात्रा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से प्रेरित है, जहां उन्होंने कांग्रेस के दृष्टिकोण एवं मूल्यों को सीधे भारत के लोगों तक पहुंचाया था। सद्भाव यात्रा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को भी एकजुट एवं प्रोत्साहित करेगी, जो 2024 के विधानसभा चुनावी परिणामों के बाद सरकार की हानिकारक नीतियों के खिलाफ खड़े होने के लिए ज़रूरी है।

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