नई दिल्ली । देश के टियर-2 और टियर-3 शहर रियल एस्टेट निवेश का नया केंद्र बनकर उभर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में अफोर्डेबिलिटी, तेज़ी से विकसित हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर और कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने इन शहरों को NRI और पहली बार निवेश करने वालों के लिए आकर्षक विकल्प बना दिया है। मोहाली, लखनऊ, देहरादून और इंदौर जैसे शहर इस बदलाव के प्रमुख उदाहरण बनकर सामने आए हैं। ओमैक्स ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहित गोयल ने कहा कि लखनऊ, चंडीगढ़ और प्रयागराज जैसे शहर रियल एस्टेट के नए हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने कहा, मेट्रो शहरों में प्रवेश लागत इतनी बढ़ चुकी है कि आम खरीदार वहां पहुंच ही नहीं पा रहा। वहीं ये शहर किफ़ायती कीमतों पर बेहतर जीवनशैली और विकास के बड़े अवसर दे रहे हैं। न्यू चंडीगढ़ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां 200 फीट चौड़ी कनेक्टिविटी रोड, मास्टर प्लान्ड सेक्टर, शिक्षा व स्वास्थ्य हब और 30% ग्रीन कवर इसे उत्तर भारत का उभरता गंतव्य बना रहे हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, 2022–23 में डेवलपर्स की 44% जमीन खरीद टियर-2 और टियर-3 लोकेशंस में हुई है। इन शहरों में प्रॉपर्टी की औसत सालाना कीमत वृद्धि 10–15% तक दर्ज की जा रही है, जबकि किराया प्रतिफल 4–7% रहता है,जो मेट्रो शहरों से अधिक है। सूरत के एक निवेशक के 75 लाख रुपए कीमत वाले फ्लैट का मूल्य चार साल में बढ़कर 1.2 करोड़ रुपए पहुंच जाना इस ट्रेंड की पुष्टि करता है। वन ग्रुप के डायरेक्टर उदित जैन ने कहा कि टियर-2 और टियर-3 शहरों के उभार की कहानी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के बड़े पैमाने का ज़िक्र किए बिना पूरी नहीं होती। नए एक्सप्रेसवे, जैसे आने वाला चंडीगढ़- अंबाला ग्रीनफील्ड कॉरिडोर जो चंडीगढ़, जीरकपुर, पंचकूला, मोहाली और खरड़ में ट्रैफिक दबाव को कम करेगा, इसके साथ ही टियर-2 और टियर-3 शहरों में बन रहे नए एयरपोर्ट और ज़िरकपुर जैसे इलाकों में विकसित हो रहे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर ने आवासीय और व्यावसायिक रियल एस्टेट विकास को तेज़ी से आगे बढ़ाया है। ओसवाल ग्रुप के चेयरमैन आदिश ओसवाल ने कहा कि स्मार्ट सिटीज़ मिशन और अमृत जैसी सरकारी योजनाओं ने भी इस रफ्तार को नई दिशा दी है। ये योजनाएँ मिलकर 100 शहरों को अधिक योजनाबद्ध, आधुनिक और तकनीकी सुविधाओं से लैस शहरी केंद्रों के रूप में विकसित कर रही हैं। इस बड़े बदलाव ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है कि टियर-2 और टियर-3 शहर सिर्फ किफ़ायती विकल्प नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए टिकाऊ और सुरक्षित निवेश गंतव्य हैं। रॉयल एस्टेट ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष कंसल ने कहा कि आर्थिक पहलुओं से आगे बढ़कर लोगों की जीवनशैली पसंद भी बदल रही है। कई युवा प्रोफेशनल जो पहले मेट्रो शहरों में बसने का सपना देखते थे, अब छोटे शहरों की संतुलित और खुली जीवनशैली को प्राथमिकता दे रहे हैं। महामारी ने इस बदलाव को और तेज़ किया, जिससे वर्क-फ्रॉम-एनीव्हेयर मॉडल मजबूत हुआ और परिवारों व प्रोफेशनल्स को अपने शहरों में लौटकर भी करियर जारी रखने का मौका मिला। साफ हवा, कम ट्रैफिक और कम खर्च,इन शहरों का आकर्षण खुद ही सबकुछ बता देता है। होमलैंड के सीईओ उमंग जिंदल ने कहा कि एनआरआई निवेशकों के लिए जीवनशैली से जुड़ा यह पहलू भावनात्मक महत्व भी रखता है। अपने ही शहर में एक बड़ा और आधुनिक घर होना न सिर्फ आर्थिक रूप से फायदेमंद है बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी संतुष्टि देता है। कम संपत्ति कीमतों की वजह से एनआरआई बड़े घरों में या एक से अधिक प्रॉपर्टी में निवेश कर पा रहे हैं, जिससे उनका निवेश सिर्फ एक महंगे मेट्रो शहर में सीमित रहने के बजाय कई उभरते बाजारों में फैल रहा है। इसके अलावा, संपत्ति खरीद के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमों में ढील और रेरा द्वारा पारदर्शिता पर दिए जा रहे ज़ोर ने कानूनी भरोसा बढ़ाया है। इन सबके साथ अनुकूल एक्सचेंज रेट ने पिछले दो वर्षों में एनआरआई निवेशकों की खरीद क्षमता को काफी बढ़ा दिया है।

