Tuesday, December 2, 2025
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फोर्टिस मोहाली ने विश्व सीओपीडी दिवस पर जागरूकता अभियान चलाया

चंडीगढ़ । क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, जिसे आमतौर पर सीओपीडी कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है जो फेफड़ों से वायु प्रवाह को बाधित करती है। हालांकि इस बीमारी का इलाज आसानी से संभव है, लेकिन इस स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जागरूकता का स्तर मौजूदा समय में काफी कम है। इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, हर साल 19 नवंबर को विश्व सीओपीडी दिवस मनाया जाता है। विश्व सीओपीडी दिवस-2025 का विषय ‘सांस फूलने पर सीओपीडी के बारे में सोचें’ है, जो जल्द रोग पहचान और उपचार के महत्व पर ज़ोर देता है। डॉ. ज़फ़र अहमद इकबाल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर और स्लीप स्टडीज़, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली, ने एक एडवाइजरी में सीओपीडी के कारणों, लक्षणों और उपचार के विकल्पों के बारे में बताया है। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) तब विकसित होता है जब हानिकारक कणों या गैसों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों की वायुमार्ग में जलन और क्षति होती है। इससे सूजन, वायुमार्ग का सिकुड़ना और सांस लेने में कठिनाई होती है। डॉ. ज़फर ने बताया कि “सीओपीडी अक्सर अन्य पुरानी या लंबे समय से बनी हुई बीमारियों के साथ आता है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को और खराब कर सकती हैं। यह अचानक भी बढ़ सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ सकती है। इस बीमारी की पहचान लगातार श्वसन संबंधी लक्षणों जैसे बलगम वाली खांसी, सांस फूलना आदि से होती है। अन्य लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न, घरघराहट, मतली, ऊर्जा की कमी, अप्रत्याशित तौर पर वजन घटना और टखनों, पैरों या टांगों में सूजन शामिल हैं। डॉ. ज़फर ने बताया कि इस बीमारी का डायग्नोस क्लिनिकल टेस्ट और स्पाइरोमेट्री टेस्ट द्वारा पुष्टि के माध्यम से किया जाता है, “सीओपीडी के लक्षणों के लिए तत्काल मेडिकल इंटरवेंशन की आवश्यकता होती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
सीओपीडी का मुख्य जोखिम कारक धूम्रपान है। अन्य कारकों में बायोमास ईंधन के संपर्क में आना, वायु प्रदूषण, जेनेटिक यानि आनुवंशिक असामान्यताएं, फेफड़ों का खराब विकास और तेजी से बढ़ती उम्र शामिल हैं। उपचार के विकल्पों में एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के धूम्रपान से परहेज़, वायु प्रदूषण के संपर्क से बचाव, ज़रूरत से ज़्यादा दवाइयां लेना आदि शामिल हैं। डॉ. ज़फ़र ने आगे कहा कि “प्रणालीगत दुष्प्रभावों से बचने के लिए दवा मुख्य रूप से ब्रोंकोडायलेटर इनहेलर के ज़रिए दी जाती है। हालांकि वर्तमान में सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है, फिर भी इस बीमारी को रोका जा सकता है। डॉ.जफ़र ने कहा कि “उचित उपचार के बिना, यह बीमारी बढ़ सकती है और आगे चलकर श्वसन और हृदय गति रुकने का कारण बन सकती है, जिसके लिए लंबे समय तक ऑक्सीजन और बाईपैप सपोर्ट की ज़रूरत होती है – एक ऐसी मशीन जो सीओपीडी से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में मदद करती है।

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