Thursday, October 23, 2025
HomeBlogsजीएमसीएच ने इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी – नॉर्थ ज़ोन  के गोल्डन जुबली वार्षिक...

जीएमसीएच ने इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी – नॉर्थ ज़ोन  के गोल्डन जुबली वार्षिक सम्मेलन की मेज़बानी की

चंडीगढ़ ।   गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, सेक्टर 32 (जीएमसीएच), चंडीगढ़ के मानसिक रोग विभाग ने इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी – नॉर्थ ज़ोन (आईपीएस-एनज़ेड 2025) के  गोल्डन जुबली वार्षिक सम्मेलन की मेज़बानी की। दो दिवसीय  गोल्डन जुबली यह समारोह न केवल अकादमिक उत्कृष्टता के पचास वर्षों को चिह्नित करता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में करुणा, सेवा और प्रतिबद्धता के पाँच दशकों का भी प्रतीक है।
इस वर्ष के सम्मेलन का विषय था: “गंभीर मानसिक रोग: मनोचिकित्सकीय दवाओं से आगे की सोच”, जो मानसिक रोगों के प्रति एक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है, ताकि मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति आत्मविश्वास और स्वतंत्रता पुनः प्राप्त कर सकें तथा व्यक्तिगत और सामाजिक पुनर्वास को बढ़ावा मिल सके। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सविता मल्होत्रा, प्रेजिडेंट, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी उपस्थित रहीं, जबकि जीएमसीएच चंडीगढ़ के डायरेक्टर-प्रिंसिपल प्रो. जी.पी. थामी, विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। समारोह के दौरान कई महत्वपूर्ण प्रकाशनों का विमोचन किया गया, जिनमें सोविनियर, आईपीएस-एनज़ेड न्यूज़लेटर, और डॉ. गुरविंदर पाल सिंह (पूर्व प्रेजिडेंट, आईपीएस-एनज़ेड) द्वारा लिखित पुस्तक “नई रोशनी” शामिल हैं। इस अवसर पर मनोरोग क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित किया गया, जिनमें आईपीएस-एनज़ेड के पूर्व प्रेसीडेंट्स एवं जीएमसीएच के मानसिक रोग विभाग के पूर्व छात्र भी शामिल थे। सम्मेलन की आयोजन सेक्रेटरी डॉ. शिवांगी मेहता ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।


सम्मेलन का मुख्य आकर्षण थीम संगोष्ठी रही, जिसका नेतृत्व डॉ. अजीत सिदाना, एचओडी मानसिक रोग विभाग, जीएमसीएच चंडीगढ़ व सम्मेलन के ओर्गनइजिंग प्रेजिडेंट ने किया। उनके साथ डॉ. गुरविंदर पाल सिंह (एम्स, बठिंडा); डॉ. शुभ मोहन सिंह (पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़); और डॉ. अमृत पट्टोजोशी (एम्स भुवनेश्वर) शामिल थे। इस सत्र में स्किज़ोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसे गंभीर मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों के लिए नई और समग्र सहायता विधियों पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने  ‘डीएआरटी  मॉडल पर विस्तार से चर्चा की, जो पिछले एक दशक से चंडीगढ़ में बाहरी  रोगी पुनर्वास सेवाएं प्रदान कर रहा है। डॉ. सिदाना ने डिसेबिलिटी असेसमेंट, रिहैबिलिटेशन एंड ट्रायेज (डीएआरटी) सेवाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें डे केयर सेंटर, वोकेशनल ट्रेनिंग, सोशल स्किल्स ट्रेनिंग, न्यूरोकॉग्निटिव रिहैबिलिटेशन, फॅमिली इंटरवेंशन, और पीयर सपोर्ट ग्रुप जैसी सेवाएं शामिल हैं। डेढ़ दिवसीय वैज्ञानिक कार्यक्रम में देशभर के विशेषज्ञों द्वारा कई संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, आमंत्रित व्याख्यानों, पुरस्कार सत्रों और शोधपत्र प्रस्तुतियों को शामिल किया गया। डॉ. राजेश सागर ने भाषण दिया, और डॉ. एन.एन. विग व्याख्यान डॉ. रूप सिदाना द्वारा प्रस्तुत किया गया। सम्मेलन में डॉ. जी.डी. कूलवाल पुरस्कार, डॉ. आर.के. सोलंकी पुरस्कार, और बीपीएसएसजे पुरस्कार जैसे विभिन्न पुरस्कार सत्रों का आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त पोस्टर सेशन और फ्री पेपर प्रेजेंटेशन  ने छात्रों को अपने शोध कार्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया। सम्मेलन में देश भर से 400 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिससे यह सम्मेलन वैज्ञानिक दृष्टि से समृद्ध और अत्यंत सफल रहा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments