चंडीगढ़ । फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा MIS पोर्टल बंद करना अवैधानिक है, जिससे 2,800 से अधिक विद्यालय प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कदम से बच्चों का स्कूल में प्रवेश ही रुक गया है और हरियाणा देश का पहला प्रदेश बन गया है जो खुद बच्चों की पढ़ाई पर ताला लगा रहा है। यह न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सीधा आघात है बल्कि राज्य की सकारात्मक छवि को धूमिल भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहली बार ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाते हुए बच्चों के पोर्टल पर सीट दिखाने का काम शुरू किया, लेकिन न तो स्कूल संचालकों को इसकी कोई ट्रेनिंग दी गई और न ही दस्तावेजों में सुधार का विकल्प उपलब्ध कराया गया। इसके विपरीत, विभाग विद्यालयों पर यह आरोप लगा रहा है कि उनके दस्तावेज अपूर्ण या गलत हैं। शर्मा ने इसे शिक्षा विभाग की अक्षमता बताया और कहा कि जब मान्यता पत्र जारी करना स्वयं सरकार का कार्य है, तो मान्यता प्राप्त स्कूलों से बार-बार दस्तावेज मांगना और उनके नाम पर भारी-भरकम जुर्माने (₹30,000 से ₹70,000 तक) थोपना सर्वथा अन्यायपूर्ण है तथा यह जजिया कर के समान है और शिक्षा के मंदिरों पर इस प्रकार का जुर्माना इतिहास में कभी भी नहीं लगा होगा। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जहां एक ओर सरकार बच्चों को स्कूलों में लाने के लिए नई-नई योजनाएं बनाती है और प्रवेश उत्सव मनाती है, वहीं दूसरी ओर MIS पोर्टल बंद कर बच्चों के प्रवेश पर ताले जड़ दिए गए हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षा के अधिकार की भावना के खिलाफ है बल्कि बच्चों को उनके मौलिक अधिकार से वंचित भी कर रही है। शर्मा ने दोहराया कि प्राइवेट स्कूल गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा देने के खिलाफ कभी नहीं रहे। यदि सरकार पारदर्शी नीति और समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करे तो सभी विद्यालय निर्धारित 25 प्रतिशत बच्चों सिर्फ एक कक्षा में ही नहीं बल्कि हर कक्षा में शिक्षा देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि स्कूल संचालक इसके लिए शपथ पत्र देने को तैयार हैं, किंतु सरकार भी शपथ पत्र दे कि वह 6 महीने के भीतर सभी बकाया भुगतान करेगी। फेडरेशन ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग की है कि विभाग द्वारा थोपे गए अव्यवहारिक आदेशों और जुर्मानों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए तथा प्राइवेट स्कूलों के साथ विश्वास और सहयोग का माहौल बनाते हुए शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए।