मोहाली । एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) चंडीगढ़ यूटी डेवलपमेंट काउंसिल ने मोहाली स्थित अपने नॉर्थ रीजनल ऑफिस में जीएसटी 2.0 सुधारों पर एक राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में नीति निर्माताओं, इंडस्ट्री लीडर्स, आंत्रप्रेन्योर्स और प्रोफेशनल्स ने जीएसटी के भविष्य और भारत की आर्थिक नींव को मजबूत करने में इसकी भूमिका पर एक सार्थक संवाद के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान किया। इस सत्र में मोहम्मद मंसूर एल., आईएएस, सचिव, एक्साइज एंड टैक्सेशन, चंडीगढ़ यूटी प्रशासन, ने सरकारी प्रवक्ता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, मंसूर ने कहा कि नए जीएसटी सुधार प्रशासन में लंबे समय से चली आ रही समस्याओं, विशेष रूप से कर स्लैब की बहुलता और ब्रांडेड तथा गैर-ब्रांडेड उत्पादों के बीच पहले के भेदभाव से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान करते हैं। इन जटिलताओं के साथ-साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की चुनौतियों ने कंप्लायंस के दबाव और व्यापक प्रभाव पैदा किए हैं, जिनका विशेष रूप से एमएसएमई पर प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि “तर्कसंगत स्ट्रक्चर से घरेलू इंडस्ट्री सुरक्षित रहती है, उत्पादन लागत कम होती है और इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलता है। उन्होंने बताया कि फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर, जहां कई आवश्यक वस्तुओं पर शून्य दर से कर लगता है, अब अधिक स्पष्टता और एकरूपता का आनंद लेंगे। उन्होंने आगे कहा कि ये सुधार धोखाधड़ी गतिविधियों पर अंकुश लगाने और आधिकारिक वेबसाइटों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और गाइडेंस सामग्री उपलब्ध कराकर कंप्लायंस को मजबूत करने में भी मदद करते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने आश्वासन दिया कि रेशनलाइजेशन से निर्यात को कोई नुकसान नहीं होगा। इसके विपरीत, लागत दबाव कम करके और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर, जीएसटी 2.0 भारत की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाएगा और निर्यातकों को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगा। इससे भारत और आम लोगों का आर्थिक विकास तेज होगा। संजय टंडन, कन्वीनर जीएसटी सेल, चंडीगढ़, इंचार्ज, हिमाचल प्रदेश भाजपा प्रभारी,और चंडीगढ़ भाजपा के पूर्व अध्यक्ष, ने अपने संबोधन में देश को ज़मीनी स्तर से मज़बूत बनाने के सरकार के निरंतर प्रयासों पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वित्तीय इनक्लूजन और डिजिटल सशक्तिकरण से लेकर स्वच्छता, जल और कनेक्टिविटी तक, विभिन्न क्षेत्रों में की जा रही पहल समावेशी विकास की एक मज़बूत नींव रख रही हैं। इससे सभी को एक साथ वित्तीय तौर पर सक्षम बनाने में भी मदद मिल रही है। उन्होंने यह तथ्य भी सामने रखा कि डिजिटल भुगतान और आत्मनिर्भरता में भारत की प्रगति को वैश्विक मान्यता मिली है। टंडन ने कहा कि जीएसटी 2.0 सुधार अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने में योगदान देंगे और उन्होंने स्वदेशी के दृष्टिकोण के तहत सभी को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। कॉन्फ्रेंस के थीम को संबोधित करते हुए, एसोचैम चंडीगढ़ यूटी काउंसिल के चेयरमैन और एसएमएल इसुजु के सीएफओ, राकेश भल्ला ने इस बात पर जोर डाला कि ये सुधार अनुपालन जटिलताओं को कम करके और एक सुविधाजनक कारोबारी माहौल बनाकर विशेष रूप से एमएसएमई को लाभान्वित करेंगे।