चंडीगढ़ । कैंसर केयर में विश्व स्तरीय चिकित्सा तकनीक प्रदान करने के लिए, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने रोग के बारे में पूर्वानुमान, बचाव एवं रोकथाम और टार्गेटेड उपचार के लिए डायग्नोसिस में बेहतरी और सुधार के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक मेडिसिन की शुरुआत की है। जेनेटिक टेस्टिंग मुख्य रूप से जीन्स, क्रोमोज़ोम्स और डीएनए पैटर्न में भिन्नताओं का पता लगाएगी ताकि कैंसर पैदा करने वाले जीन्स की पहचान की जा सके। इससे यह निर्धारित करने में मदद मिल सकती है कि क्या किसी व्यक्ति को जीवन में आगे चलकर जानलेवा जटिलताएं विकसित होने का खतरा है और इसलिए समय पर ही सही और सटीक उपचार का सुझाव दिया जा सकता है। डॉ. राजीव बेदी, डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी; और डॉ. रवनीत कौर, एसोसिएट कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल जेनेटिक्स के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम, व्यक्ति की जेनेटिक जानकारी का उपयोग करके कैंसर का पता लगाने में सुधार करने में मदद करने के लिए रिसर्च तकनीकों पर काम करेगी।

इसकी मदद से, डॉक्टर इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए खास तौर पर तैयार किए गए उपचार प्रदान कर सकते हैं। इंस्टीट्यूट की शुरुआत के मौके पर, डॉ. रवनीत कौर ने कहा कि कैंसर में जीनोमिक टेस्टिंग आमतौर पर रक्त, लार या ट्यूमर टिश्यूज के सैम्पल से शुरू होती है। पहले से ही कैंसर से पीड़ित मरीजों में, नेक्स्ट-जेनरेशन सीक्वेंसिंग या लिक्विड बायोप्सी जैसे एडवांस्ड मैथेड्स ट्यूमर के अंदर के जीन्स की स्टडी करने में मदद करती हैं। इससे कैंसर को जन्म देने वाले “फाल्टिंग वायरिंग” या म्यूटेशंस की पहचान करने में मदद मिलती है, जिससे इलाज को उन खास परिवर्तनों को रोकने के लिए और बेहतर किया जा सकता है, जिससे थेरेपी अधिक प्रभावी हो जाती है और अनावश्यक दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसी तकनीक का उपयोग लोगों के जन्मजात जीन्स का पता लगाने के लिए भी किया जाता है। यदि कोई जेनेटिक यानि आनुवंशिक परिवर्तन, जैसे कि बीआरसीए1/2 या अन्य कैंसर-संबंधी जीन्स में पाया जाता है, तो इसका अर्थ है कि मरीजों और कभी-कभी उनके परिवार के सदस्यों को, कुछ प्रकार के कैंसर का जीवन भर अधिक जोखिम हो सकता है। प्रारंभिक पहचान से डॉक्टर प्रिवेंटिव जांच, जीवनशैली में बदलाव या समय पर इंटरवेशंस की सलाह दे सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कैंसर की देखभाल न केवल व्यक्तिगत हो, बल्कि काफी सक्रिय भी हो। जेनेटिक टेस्टिंग के महत्व पर आगे जानकारी देते हुए, डॉ. राजीव बेदी ने कहा कि “जीनोमिक्स की बदौलत कैंसर थेरेपी अब एक-समान से लेकर सभी के लिए अलग से तैयार किए गए सॉल्यूशंस की ओर बढ़ रही है।” कोई भी दो कैंसर एक जैसे नहीं होते और अब, उनका उपचार भी एक जैसा नहीं है। जीनोमिक्स कैंसर थेरेपी को मानक प्रोटोकॉल से व्यक्तिगत समाधानों में बदल रहा है।