Tuesday, July 1, 2025
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मानसिक स्वास्थ्य के बिना स्वास्थ्य नहीं, मेंटल हेल्थ को दें प्राथमिकता : विशेषज्ञों ने दिया बल

माइंडप्लस ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में जागरूकता सत्र के साथ मनाया विश्व सिज़ोफ्रेनिया 

चंडीगढ़ । मई में चल रहे मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ के हिस्से के रूप में, एक नव मान्यता प्राप्त रिहैबिलेशन सेंटर माइंड प्लस  ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में विश्व सिज़ोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया। सिज़ोफ्रेनिया, एक पुराना मेंटल डिस्आर्डर है जो सबसे अधिक गलत समझा जाने वाला और कलंकित मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है। भारत की लगभग 1 फ़ीसदी आबादी (लगभग 80 लाख व्यक्ति) को प्रभावित करने वाली यह स्थिति सोच, धारणा, इमोशनल रिस्पांसिंवनेस (भावनात्मक प्रतिक्रिया) और सोशल इंटरेक्शन (सामाजिक संपर्क) को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। दुर्भाग्य से, भारत में 75 प्रतिशत से अधिक प्रभावित व्यक्तियों को  संसाधनों की कमी और सीमित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं  के कारण पर्याप्त उपचार नहीं मिल पाता है। विशेषज्ञों ने दैनिक जीवन में मेंटल फिटनेस की बढ़ती जरूरत पर ज़ोर दिया। मनोचिकित्सक डॉ. अंकुश भाटिया ने कहा कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी कई बार मुश्किल हो सकती है। इसलिए अपने दिमाग को तंदुरुस्त रखना उतना ही ज़रूरी है जितना कि अपने शरीर को तंदुरुस्त रखना। मानसिक तंदुरुस्ती में सुधार करने से तनाव, डिप्रेशन, गुस्सा और बहुत कुछ कम हो सकता है। सत्र के दौरान, उन्होंने भारत में मेंटल हैल्थ डिस्आर्डर के बढ़ने की चिंताजनक प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला, जहाँ 10.6 फ़ीसदी वयस्क किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित बताए जाते हैं। इन आँकड़ों के मद्देनजर, शुरुआती हस्तक्षेप, कम्युनिटी सपोर्ट और स्टक्चरल रिहैबिलेशन की भूमिका पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। माइंडप्लस ने सिज़ोफ्रेनिया के लिए अपने व्यापक सिक्स स्टेज रिहैब प्रोग्राम पेश किया है जिसमें असेसमेंट, स्टेबलाइजेशन, स्किल बिल्डिंग, फैमिली इंटरवैंशन, कम्युनिटी टेस्टिंग और प्री पोस्ट डिस्चार्ज केयर शामिल हैं। यह दृष्टिकोण न केवल हैलूसिनेशंस (मतिभ्रम) और डिलूशंस (भ्रम) जैसे तेज लक्षणों का उपचार करवाता है, बल्कि नकारात्मक और संज्ञानात्मक दुर्बलताओं को भी लक्षित करता है।  व्यक्तियों को समाज में फिर से शामिल होने और सार्थक जीवन जीने में मदद करता है।  इस अवसर पर उपस्थित एक अन्य मनोचिकित्सक डॉ. लक्ष्मी शोधना ने सिज़ोफ्रेनिया के मूल कारणों की समझ के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें न्यूरोडेवलपमेंटल गड़बड़ी और डोपामाइन और ग्लूटामेट जैसे न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन शामिल हैं। 

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