चंडीगढ़ । सेक्टर 23 डी स्थित श्री महावीर मंदिर मुनि सभा (साधु आश्रम) में 56वें वार्षिक मूर्ति स्थापना समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य हरिजी महाराज ने श्रद्धालुओं को आनंदमय कथाओं का श्रवण करवाया। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े श्रद्धा भाव से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर बधाई दी और मंदिर परिसर में जयकारों से वातावरण गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने खुशी में नृत्य, कीर्तन और भक्ति में लीन होकर उत्सव का आनंद लिया।
कथा व्यास ने श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान का अवतार समय-समय पर विभिन्न कारणों से इस संसार में होता है। आचार्य ने ध्रुव चरित्र का वर्णन किया और बताया कि किस प्रकार पतिव्रता सुनीति के पुत्र ध्रुव ने तप और भक्ति के माध्यम से वह परम पद प्राप्त किया, जिसे भगवद धर्म और वेद-विद्वान लोग भी आसानी से प्राप्त नहीं कर सकते। आचार्य ने आगे कहा कि ध्रुव , केवल पांच वर्ष की आयु में अपनी विमाता के द्वारा कहे गए कठोर शब्दों से आहत होकर वन में गए और भगवान की भक्ति द्वारा उनके हृदय को जीत लिया। उन्होंने श्रद्धालुओं को यह भी उपदेश दिया कि ऐसे स्थान, जहां हरि कथा का अमृत रूपी प्रवाह न हो, जहां भगवद भक्त साधु न रहते हों, और जहां नृत्य और उत्सव से भगवान की पूजा न होती हो, वह स्थान भले ही ब्रह्मलोक के समान हो, उसकी सेवा नहीं करनी चाहिए। इस आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण के जन्म की दिव्य उपस्थिति का अहसास कराया, बल्कि उन्हें भक्ति और तपस्या के महत्व का भी गहरा ज्ञान प्रदान किया।