Sunday, December 22, 2024
HomeBusinessबेंगलुरु स्थित लैब-ग्रोन डायमंड लेबल 'कल्टीवेटेड कैरेट्स' ने ट्राइसिटी में अपना पहला...

बेंगलुरु स्थित लैब-ग्रोन डायमंड लेबल ‘कल्टीवेटेड कैरेट्स’ ने ट्राइसिटी में अपना पहला आउटलेट लॉन्च किया

बिग बॉस सीजन 14 की विजेता रुबीना दिलाइक ने नए और खूबसूरत आउटलेट का उद्घाटन किया

चंडीगढ़ । बिग बॉस सीजन 14 की विजेता और प्रसिद्ध अभिनेत्री रुबीना दिलाइक ने ट्राइसिटी में पहला एक्सक्लूसिव लार्ज-फॉर्मेट लैब-ग्रोन डायमंड बेस्ड ज्वेलरी आउटलेट ‘कल्टीवेटेड कैरेट्स’ का उद्घाटन किया। यह शानदार और खूबसूरत स्टोर चंडीगढ़ के सेक्टर 13 के मनीमाजरा स्थित एनएसी में खुला है। रुबीना ने नए आउटलेट में उपलब्ध लैब-ग्रोन डायमंड से बने कुछ ज्वैलरी के बेहतरीन मास्टरपीसेज को आजमाया भी और काफी सराहा। एक्सक्लूसिव रूप से, ब्रांड ‘कल्टीवेटेड कैरेट्स’ की ओनरशिप बेंगलुरु के क्यूबिक्स ज्वेल्स एलएलपी के पास है और चंडीगढ़ के जाने माने डायनेमिक ज्वेलरी एंटरप्रेन्योर दीपक गुप्ता के साथ ज्वाइंट वेंचर (जेवी) में ट्राइसिटी आउटलेट खोला गया है। क्यूबिक्स ज्वेल्स, बेंगलुरु के को-फाउंडर सम्पत जैन ने कहा कि “हम ज्वाइंट वेंचर के तहत चंडीगढ़ में अपना पहला आउटलेट लॉन्च करके काफी अधिक खुश और रोमांचित हैं। यह स्टोर लैब-ग्रोन, पर्यावरण के अनुकूल हीरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार है, जिससे कि ग्राहकों को किफायती कीमतों पर हाई-क्वालिटी ज्वेलरी उपलब्ध कराई जा सके । इस प्रोग्राम के दौरान, लैब-ग्रोन डायमंड इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने हीरे की इस नई शैली पर एक अवेयरनेस सेशन भी आयोजित किया। एक्सपर्ट्स ने कहा कि लैब-ग्रोन हीरे प्राकृतिक हीरो की तुलना में काफी अधिक किफायती हैं। इसके प्रमुख कारण हैं -प्राकृतिक हीरे दुनिया भर से आयात किए जाते हैं और उनके खनन में बहुत अधिक लागत शामिल होती है। इसके विपरीत लैब-ग्रोन डायमंड्स लैब में साइंटिफिक प्रोसेस का उपयोग करके बनाए जाते हैं, जिससे उनकी लागत कम होती है।
डायमंड एक्सपर्ट्स ने कहा कि प्राकृतिक हीरे हैवी मशीनरी का उपयोग करके धरती की निचली परतों से निकाले जाते हैं, जबकि लैब में बनाए गए हीरे अधिक सस्टेनेबल तरीकों का उपयोग करके बनाए जाते हैं। इसमें किसी भी तरह से प्रकृति का भी कोई नुकसान नहीं होता है, जो परंपरागत हीरे के खनन के दौरान होता है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि ये प्रोसेस लैब-ग्रोन हीरे को पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।
लैब-ग्रोन हीरों के बारे में विस्तार से बताते हुए, क्यूबिक्स ज्वेल्स की को-फाउंडर, महक जैन ने कहा कि “लैब-ग्रोन डायमंड्स एक कंट्रोल्ड एनवायरमेंट में लैब और फैक्ट्रीज में बनाए जाते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इनके फिजिकल और केमिकल गुण और अन्य फीचर्स धरती के अंदर से निकाले गए प्राकृतिक हीरों के समान हैं। लैब-ग्रोन हीरों की कम लागत और ग्राहकों को होने वाली बचत के बारे में जानकारी देते हुए, चंडीगढ़ के ‘कल्टीवेटेड कैरेट्स’ के पार्टनर दीपक गुप्ता ने बताया कि “लैब-ग्रोन हीरे प्राकृतिक हीरों की तुलना में लगभग 80% कम कीमत के होते हैं। दीपक गुप्ता ने कहा कि “हमारे आउटलेट में लैब-ग्रोन डायमंड की ज्वेलरी की एक बेहतरीन रेंज उपलब्ध है, जिसमें अंगूठियां, गले के हार, झुमके, कंगन और बहुत कुछ शामिल हैं। हम सॉलिटेयर और कलर सॉलिटेयर के विभिन्न कट भी पेश करते हैं, जो विभिन्न अवसरों के अनुसार और भी व्यापक सिलेक्शन का मौका प्रदान करते हैं। 400 से अधिक ज्वेलरी पीसेज के डिस्प्ले के साथ, हमारा कलेक्शन सिर्फ 15,000 रुपये से शुरू होता है। हम अपने लैब-ग्रोन अनकट डायमंड (पोल्की) ज्वैलरी को प्रदर्शित करने के लिए भी काफी उत्साहित हैं । डायमंड एक्सपर्ट्स ने कहा कि प्राकृतिक हीरों की तरह ही लैब में तैयार किए हीरे भी जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका (जीआईए), इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (आईजीआई) और सॉलिटेयर जेमोलॉजिकल लैबोरेटरीज (एसजीएल) जैसी सम्मानित लैब्स द्वारा सर्टिफाइड होते हैं। इसके अलावा, लैब-ग्रोन डायमंड ज्वेलरी के लिए हॉलमार्किंग/हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन (एचयूआईडी) प्रोसेस प्राकृतिक हीरे के ज्वैलरी के समान ही है। डायमंड एक्सपर्ट्स ने बताया कि भारत सरकार लैब में बनाए गए हीरों को काफी सक्रियता के साथ प्रोत्साहित कर रही है, क्योंकि इससे भारत को पूरी दुनिया में इन डायमंड्स का एक प्रमुख निर्यातक बनने का अवसर मिलता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments