हमारे शास्त्रों में अमावस तिथि को पित्रो को समर्पित किया गया है । पित्रो से जुड़े किसी भी प्रकार के कार्य को करने के लिए ये तिथि अत्यंत शुभ कही गई है ।इस दिन किया गया स्नान दान पुजा पाठ का भी विषेश महत्व बताया गया है ।सोमवती व शनिवारी अमावस का और भी जयादा विषेश महत्व दिया है ।इस दिन किया गया स्नान दान पुजा पाठ पित्र कार्य और भी फलदायी हो जाती है । जीवन मे आ रही धन नौकरी हर प्रकार की समस्या से छुटकारा मिल सकता है । पित्रो के निमित्त दान पुजा पाठ हवन करने से पित्र दोष मे कमी आती है व पित्रो को भी मुक्ति मिल जाती है । कहते हैं कि जिस पर भी पित्रो का आशीर्वाद बना रहता है उनके सभी कार्य सही समय पर सुगमता से हो जाते हैं । अकसर देखा गया है कि पित्र दोष के कारण बिमारी, कर्जा से परेशानी रहती है । संतान व विद्या प्राप्ति मे बाधा आती है। संतान सुख व संतान से सुख नहीं मिलता है। बहुत समय देखा गया है कि ऐन खुशी के समय पर कोई न कोई दुर्घटना हो जाती है। घर परिवार में किसी की मोत भी हो जाती है। दुखों का पहाड़ टूट पड़ जाता है। इंसान को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड जाते हैं । पुलिस केस मे परेशानी आती है। कोर्ट में मुकदमा लंबा चलता है, झूठे केस का सामना करना पड़ता है। झुठे आरोपों का सामना करना पड़ता है। लंबी बीमारी के कारण धन का नाश होता है। आपस में भूमि जायदाद के झगड़े शुरु हो जाते हैं जल्दी से कोई फैसला नहीं हो पाता है। इस कारण बच्चों की जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। पढ़ाई मे बाधा आती है। शिक्षा अधुरी रह जाती है। नोकरी रोजगार भी नहीं मिलता। कर्जा बढता रहता है। समय पर किराया भी दे पाते हैं , जिनको किराये की इन्कम है वह कम आने लगती हैं । किरायेदारो के साथ भी लडाई झगड़ा होता रहता है। जीवन भर कुछ न कुछ समस्या परेशानी खडी रहती है। बच्चों की शिक्षा सही से नहीं हो पाती है अगर हो भी जाए तो शिक्षा का लाभ कम मिलता है, तरक्की रूक जाती हैं। बच्चों की शादी मे भी समस्या आ जाती है समय पर शादी नहीं होती जीवन साथी सही नहीं मिलता, आपसी मतभेद बढ जाते हैं और बात तलाक तक पहुंच जाती है। मनमुटाव बना रहता है जिस कारण से स्वास्थय पर बुरा असर पड़ता है और जातक को बीमारियां घेर लेती है मानसिक तनाव के कारण जीवन तहश नहस हो जाता है। वैवाहिक जीवन में सुख की कमी हो जाती है, अकेलापन महसूस होता है। दिन रात रोने-धोने का मन होता है। जातक सामाजिक धार्मिक कार्यो में भी कोई रूचि नहीं लेता है। जीवन में नीरसता आ जाती है। जीवन में खुशियाँ की कमी महसूस होने लगती है। कई बार पीडित व्यक्ति आत्महत्या तक की सोच लेता है और अपना जीवन खराब कर लेता है।
पितर दोष के कुछ सामान्य लक्षण :-
घर परिवार में अरकत बरकत नहीं रहती है।
घर-परिवार के सदस्यों मे आपस में भी नहीं बनती है रिश्तेदारों से भी मनमुटाव बना रहता है।
संतान सुख ना मिलना या देर से मिलना।
अचछी शिक्षा की कमी शिक्षा से पुरा लाभ न मिलना।
शादी विवाह मे विलंब होना।
बहुत जयादा मेहनत करने के बावजूद भी लाभ न मिलना परिश्रम का फल कोई और ही ले जाता है।
बना बनाया काम ऐन वक्त पर खराब हो जाता है धोखा मिलता है। सारा प्रोजैकेट खत्म हो जाता है धन का नाश होता है।
बाकि सब देश, काल, और पात्र पर निर्भर करता है ।
कुछ सामान्य उपाय संबंधी जानकारी ।
माता पिता की सेवा करें।
बडे बुजुर्गों के साथ मिलजुलकर रहना चाहिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
कुल देवी देवता की पूजा भक्ति करे।
अमावस के दिन काले तिल जौ गुड व गाय का घी से हवन करे।
पित्र गायत्री के मंतर से हवन कर सकते हैं।
पित्रो की गति मुक्ति के लिए धार्मिक अनुष्ठान करें।