चंडीगढ़ । जागो पंजाब के अध्यक्ष और केंद्र सरकार के पूर्व सचिव स्वर्ण सिंह बोपाराय ने इसे ऐतिहासिक भूल बताते हुए शनिवार को मांग की कि-झेलम, चिनाब और सिंधु का पानी पंजाब को आवंटित किया जाए। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बोपाराय, जो पहले पंजाब के सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं, ने कहा कि सिंधु जल संधि के तहत इन नदियों का 80 प्रतिशत पानी गलत तरीके से पड़ोसी देश को दे दिया गया था, जो अब निरस्त हो गई है।
पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल संधि के निलंबन के साथ, पंजाब ने नदी के पानी के अपने सही हिस्से को दुबारा प्राप्त करने की नई उम्मीदें जगाई हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब रेगिस्तान बनने की कगार पर है। झेलम, चिनाब और सिंधु के पानी को पंजाब की ओर मोड़ना राज्य के साथ हुए घोर अन्याय को दूर करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने केंद्र सरकार पर अतीत में पंजाब को उसके एकमात्र प्रमुख प्राकृतिक संसाधन-नदी के पानी से वंचित करने के लिए गलत तरीके और दबावपूर्ण रणनीति का उपयोग करने का आरोप लगाया। बोपाराय ने कहा कि पंजाब के नदी के पानी का दोहन जानबूझकर किया गया अन्याय है। नदी के पानी को पंजाब में वापस लाना न केवल उचित है, बल्कि इस क्षेत्र के अस्तित्व और समृद्धि के लिए आवश्यक भी है। उन्होंने ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने और पंजाब के कृषि और पारिस्थितिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया। बोपाराय के नेतृत्व में भूतपूर्व नौकरशाहों, भूतपूर्व सैनिकों, डॉक्टरों और कार्यकर्ताओं के एक समूह – जागो पंजाब ने केंद्र सरकार पर पंजाब के नदी जल के अनुचित वितरण के माध्यम से फेडरल प्रिंसीपल का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए एक आरोप पत्र यानि चार्ज शीट प्रस्तुत किया। संविधान के अनुच्छेद का हवाला देते हुए, उन्होंने सतलुज, ब्यास और रावी नदियों पर पंजाब के अनन्य तटवर्ती अधिकारों पर जोर दिया।