अमृतसर । अमृतसर अपने शानदार और खास स्वाद वाले खान पान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है और अब शहर के स्वाद को दुगना करने के लिए काके दा होटल का नया आउटलेट भी अमृतसर में आ गया है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के सामने काके दा होटल का नया रेस्टोरेंट खुला है । कनॉट प्लेस (सीपी) दिल्ली में कई दशकों से काके दा होटल लोगों को अपना अलग स्वाद दे रहा है और अब उसने उसी स्वाद को चखने के लिए अमृतसर में खाने के शौकीनों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।
अमृतसर में नया रेस्टोरेंट खालसा कॉलेज के पास गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी स्कीम के सामने खुला है और शहर के दिल में होने के चलते लोगों के लिए यहां पर आना-जाना भी काफी आसान और सुविधाजनक है । अशोक काका चोपड़ा, तुषार चोपड़ा और अमृतसर आउटलेट के उनके फ्रैंचाइज़ी मालिक जसदीप सभरवाल ने अमृतसर में नए उद्घाटन के मौके पर मीडिया से खुलकर बातचीत की और इस नए आउटलेट की खासियतों के बारे में बताया।
अशोक काका चोपड़ा ने कहा कि “काके दा होटल सिर्फ एक रेस्तरां नहीं है, यह स्वाद और परंपरा की विरासत है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा नया अमृतसर आउटलेट इस विरासत को अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे उन्हें हमारे मैन्यू का अनुभव करने का मौका मिलता है। हमारा खाना पसंद करने वाले लोगों के प्यार ने ही काके दा होटल का नाम घर-घर में मशहूर कर दिया है। तुषार चोपड़ा ने कहा कि कि अमृतसर आउटलेट का उद्घाटन पंजाब भर में हमारी मौजूदगी का विस्तार करने की हमारी योजना का हिस्सा है। अमृतसर में फिलहाल हमारे 3 आउटलेट्स हैं – जिनमें से एक रंजीत एवेन्यू में, एक जंडियाला (अमृतसर टोल हाईवे) में और एक नया खालसा कॉलेज के पास है, जहां हम आज मौजूद हैं। हम मोहाली, जालंधर, पटियाला और चंडीगढ़ में भी अपने आउटलेट खोल चुके हैं। काके दा होटल की खासियत 1930 के दशक के अपने शानदार और वही असली स्वाद को बनाए रखने की इसकी प्रतिबद्धता है। चिकन करी, दही वाला मीट, दाल मखनी, राड़ा चिकन और मीट, शाही पनीर आदि काके दा होटल के कुछ खास व्यंजन हैं। व्यंजन बनाने का तरीका ही काके दा होटल को अलग बनाता है।
रेस्टोरेंट में आज भी पारंपरिक अंदाज में खाना पकाने के तरीकों का इस्तेमाल जारी है। आज भी रेस्टोरेंट में तांबे की ‘हांडी’ और ‘पतीलों’ में व्यंजन तैयार किए जाते हैं, जिन्हें कोयले पर धीरे-धीरे पकाया जाता है। उदाहरण के लिए, दाल मखनी को इसके शानदार और खास स्वाद को तैयार करने के लिए तंदूर पर 12 घंटे से अधिक समय तक रात भर पकाया जाता है ।
अशोक काका चोपड़ा जिन्होंने अपने पिता द्वारा तय किए गए हाई स्टैंडर्ड्स को बनाए रखने के लिए अपने रेस्टोरेंट्स के व्यंजनों को और अधिक निखारने और बेहतर बनाने के लिए 42 वर्षों से अधिक का समय समर्पित किया है, ने कहा कि “कई रेस्टोरेंट आजकल लागत में कटौती पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वहीं काके दा होटल ऐसा कुछ नहीं करता है। हम आज भी अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए काफी सारे व्यंजनों के स्वाद को पहले की तरह ही बनाए रखने और उसे बढ़ाने के लिए खास देसी घी का ही उपयोग करता है।