Thursday, October 23, 2025
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सर्कल कबड्डी की 32वीं सीनियर पुरुष एवं महिला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 11 से 13 अक्टूबर तक चंडीगढ़ में

चंडीगढ़ । सर्कल कबड्डी की 32वीं राष्ट्रीय पुरुष एवं महिला चैम्पियनशिप 11 से 13 अक्टूबर 2025 तक पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी। इस आयोजन का संचालन एमैच्योर सर्कल कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है, जो वर्ल्ड कबड्डी फेडरेशन और एशियन सर्कल कबड्डी फेडरेशन से संबद्ध है।
पूर्व मेयर चंडीगढ़ एवं अमैच्योर सर्कल कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट देवेश मौदगिल तथा जनरल सेक्रेटरी (1978 से) जेपी शर्मा ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि चैम्पियनशिप के सभी मुकाबले पंजाब विश्वविद्यालय के फुटबॉल ग्राउंड में खेले जाएंगे और प्रतियोगिता नॉकआउट प्रणाली के तहत आयोजित होगी। उन्होंने बताया कि फेडरेशन की ओर से खिलाड़ियों को निःशुल्क आवास, भोजन की सुविधा दी जाएगी, साथ ही विजेता एवं उपविजेता टीमों को आकर्षक नकद पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। सभी खिलाड़ियों को सहभागिता प्रमाणपत्र भी दिए जाएंगे।

इस बार पहली बार नकद पुरस्कार की व्यवस्था की गई है —पुरुष वर्ग में प्रथम पुरस्कार 61,000 रूपए और उपविजेता टीम को 31,000 रूपए , महिला वर्ग में प्रथम पुरस्कार 41,000 रूपए  और उपविजेता टीम को 31,000 रूपए प्रदान किया जाएगा। चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए जिन राज्यों ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि की है, उनमें — हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, झारखंड, विदर्भ, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और असम  शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के लिए पुरुष एवं महिला टीमों का चयन किया जा सकता है, साथ ही तकनीकी अधिकारियों का प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किया जाएगा। देवेश मौदगिल और जे.पी. शर्मा ने कहा कि एमैच्योर सर्कल कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया देशभर में सर्कल कबड्डी जैसे स्वदेशी खेल के प्रचार-प्रसार और विकास के लिए समर्पित प्रमुख संस्था है। यह फेडरेशन न केवल जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने का कार्य करती है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व भी करती है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य खेलों के माध्यम से युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर उन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ना है, ताकि उनमें अनुशासन, आत्मविश्वास और अपनी परंपरागत खेल संस्कृति पर गर्व की भावना विकसित हो। उन्होंने आगे कहा कि यह चैम्पियनशिप सिर्फ प्रतियोगिता नहीं, बल्कि भारत की स्वदेशी खेल परंपरा का उत्सव है — यह युवाओं के विकास और देश की खेल संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक मंच है।

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