समान वेतन व स्थाई रोजगार की मांग को लेकर उठी आवाज़
चंडीगढ़ । क्लास फोर इम्प्लॉइज यूनियन एजुकेशन डिपार्टमेंट चंडीगढ़ के बैनर तले तथा प्रधान अन्नु कुमार के नेतृत्व में शिक्षा विभाग के सैकड़ों क्लास फोर कर्मचारियों ने अपनी 16 वर्षों से लंबित मांगों को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सेक्टर-20 स्थित जामा मस्जिद के समीप मैदान में हुआ, जहाँ कर्मचारियों ने प्रशासन और शिक्षा विभाग के प्रति गहरा रोष व्यक्त करते हुए नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान अन्नु कुमार ने कहा कि ठेकेदारी प्रथा के अंतर्गत काम कर रहे कर्मचारियों के परिवारों का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। बारहमासी कार्यों में लगे ग्रुप-डी के डीसी रेट व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को न केवल स्थायी रोजगार से वंचित किया गया है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से बेहद कठिन जीवन जीने को मजबूर कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इन मांगों को लेकर कई बार अधिकारियों से संवाद किया गया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला, समाधान नहीं। ऑल कांट्रैक्चुअल कर्मचारी संघ भारत के प्रधान अशोक कुमार ने कहा कि डीसी रेट एक अस्थायी व्यवस्था थी, जिसे अंग्रेज़ी शासन के दौरान 1941 में केवल एक दिन की मजदूरी के लिए लागू किया गया था। इसे बारहमासी कार्यों के लिए लागू करना जनहित में नहीं है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पीजीआई, चंडीगढ़ ने अपने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को “समान कार्य के लिए समान वेतन” के सिद्धांत पर आधारित बेसिक + डीए वेतन प्रदान करना शुरू कर दिया है, जो कि ठेका श्रम अधिनियम, 1970-71 की धारा 25 (2)(v)(a) के अनुरूप है। ऐसे में शिक्षा विभाग द्वारा केंद्रीय नियमों की अनदेखी कर डीसी रेट कर्मचारियों को समान वेतन न देना अन्यायपूर्ण है। यूनियन के चेयरमैन पाल सिंह और महासचिव जोनी कुमार ने शिक्षा विभाग से मांग की कि डायरेक्ट डीसी रेट तथा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बेसिक + डीए के तहत समान वेतन दिया जाए, ताकि उन्हें न्यूनतम जीवन स्तर की आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो सके। उन्होंने मिड डे मील कर्मचारियों के लिए चार घंटे की ड्यूटी तय कर उन्हें डीसी रेट के अनुसार आधी सैलरी देने की मांग भी उठाई। अन्य प्रमुख मांगों में सभी कर्मचारियों को आपातकालीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना, 60 वर्ष की आयु पर रिटायर होने वाले अनुबंधित कर्मियों को ग्रेच्युटी दी जाए, शामिल है। अंत में यूनियन पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया, तो संघर्ष को व्यापक रूप से तेज़ किया जाएगा।