चंडीगढ़ । भारत ही नहीं विदेशों में भी बसे पूर्वांचल परिवारों में दीपावली के बाद से ही लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारी शुरू हो जाती हैं और सदाचार तथा सात्विक दिनचर्या के साथ छठ मैया के लोकसंगीत की धुन घर घर में गूंजने लगती है।पिछले 25 अक्टूबर से चल रहे इस महापर्व में आज सायंकाल डूबते सूर्य को छठव्रती अर्घ्य देगें और छठ मैया से विश्व कल्याण की कामना करेंगे। इस पावन अवसर पर पूर्वांचल परिवार शुभचिंतक पर्यावरण सेवक प्रभुनाथ शाही ने बताया कि छठ पूजा से सामाजिक समरसता,सौहार्द्र और सदाचारी जीवन का संदेश मिलता है।उन्होंने इस पूजा की प्राचीन एवं पुरातन परम्परा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति में यह एक अद्वितीय एवं अद्भुत पर्व है,जिसमे किसी प्रकार के भेदभाव और कर्मकांड की जरूरत नहीं है।

एक साधारण समर्पित भक्त अपने पवित्रता और सात्विकता के साथ उपासना के बल पर अपने आराध्य का दर्शन प्रकृति के बीच अस्त और उदय होते हुए सबके कल्याण के भावना करता है और सच्चे अर्थ में वसुधैव कुटुंबकम् का मंत्र परिलक्षित होता है।इस पूजा में अद्भुत प्रकृति प्रेम और प्राकृतिक वस्तुओं के प्रयोग का समागम दिखता है तथा जल संरक्षण,सौर ऊर्जा के उपयोग से लेकर स्वच्छता के साथ पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन का पवित्र संदेश मिलता है। शाही ने बताया कि उनकी धर्मपत्नी रीमा प्रभु पिछले सत्रह वर्षों से चंडीगढ़ में छठ पूजा सेक्टर 42 सन लेक से करती हुई आ रही है लेकिन कोरोना काल से अपने निवास पर सेक्टर 47 में इष्ट मित्रों के साथ करती है क्योंकि बार बार घाट नहीं बदला जाता है। अंत में शाही ने इस पर्व पर लोगों को अश्लील भोजपुरी गानों से बचते हुए इस पर्व की पवित्रता को बनाए रखने का आग्रह किए।

                                    