देश विदेश के प्रख्यात वैज्ञानिकों ने बायोमेडिकल रिसर्च में नवीनतम प्रगति पर किया विचार विमर्श
चंडीगढ़। सेक्टर-32 स्थित गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज में शनिवार को इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी और पंजाब एकेडमी ऑफ साइंसेज के सहयोग से “बायोमेडिकल साइंसेज में नए क्षितिज” विषय पर एक दिवसीय सिंपोजियम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विश्व के विभिन्न भागों से प्रख्यात वैज्ञानिक, शोधकर्ता और शिक्षक एकत्रित हुए, तथा बायोमेडिकल रिसर्च में नवीनतम प्रगति तथा मानव स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी में परिवर्तन लाने की उनकी क्षमता पर विचार-विमर्श किया गया। सिंपोजियम की शुरुआत अतिथियों व वक्ताओं को पौधा भेंट करने से हुई। जीजीडीएसडी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा ने औपचारिक संदेश दिया। उन्होंने शिक्षाविदों में सहयोग और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। जीजीडीएसडी कॉलेज सोसायटी के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सिद्धार्थ शर्मा ने भविष्य में तकनीकी जानकारी के लिए इस तरह के सिंपोजियम्स की आवश्यकता पर बल दिया। पंजाब यूनिवर्सिटी और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) आरसी सोबती ने अपने संबोधन में मल्टी डिसिप्लनरी साइंटिफिक रिसर्च के उभरते परिदृश्य पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान की। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण आईआईटी रोपड़ के डॉयरेक्टर डॉ. राजीव आहूजा का मुख्य भाषण था, उन्होंने “एनर्जी एप्लीकेशंस के लिए एडवांस्ड बायो मैटीरियल्स” विषय पर बायो मैटीरियल्स में परिवर्तनकारी सफलताओं और सस्टेनेबल डेलवपमेंट प्राप्त करने के लिए हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने पर चर्चा की। सिंपोजियम में दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जो अत्याधुनिक बायोमेडिकल रिसर्च और इनोवेशन पर चर्चा के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। प्रारंभिक सत्र की अध्यक्षता डॉ. हरपाल एस. भुट्टर ने की और डॉ. संजीव पुरी ने बायोमेडिकल रिसर्च, विशेष रूप से रीजेनरेटिव मेडिसिन में प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया। डॉ. डीके अग्रवाल (प्रोफेसर और निदेशक, वेस्टर्न यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, कैलिफोर्निया) ने “स्मार्ट एक्सोसोम्स और इंटेलिजेंट हाइड्रोजेल के साथ टूटे हुए दिल का कायाकल्प” शीर्षक से एक अनूठी प्रस्तुति के साथ सत्र की शुरुआत की, जिसमें हृदय रोग के इलाज के लिए स्मार्ट एक्सोसोम के उपयोग पर प्रकाश डाला गया। डॉ. संजीव ढींगरा, (मैनिटोबा विश्वविद्यालय, कनाडा) ने कार्डियक स्टेम थेरेपी के प्रचार और उम्मीदों पर अपने व्याख्यान में कार्डियक रीजेनरेशन के लिए बायोमटेरियल के उपयोग के बारे में बात की। डॉ. राकेश सी. कुकरेजा (वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी, यूएसए) ने मेडिकल रिसर्च, विशेषकर कैंसर और हृदय संबंधी रोगों में हाल की सफलताओं के बारे में चर्चा की। वहीं, डॉ. सिकंदर एस. गिल ने नवीन, लागत-कुशल और उपयोगकर्ता-अनुकूल माइक्रोचिप आधारित, रियल-टाइम पीसीआर तकनीक के बारे में बात की। दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. डीके अग्रवाल और डॉ. राकेश सी. कुकरेजा ने की, जिसमें हृदय स्वास्थ्य, गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधी रोगों और गैर-औषधीय रणनीतियों से संबंधित उन्नत विषयों पर चर्चा की गई। डॉ. हरपाल एस. भुट्टर (ओटावा यूनिवर्सिटी, कनाडा) ने हृदय संबंधी रोगों की रोकथाम में न्यूट्रिशन, गट फ्लोरा और जीवनशैली संबंधी निर्णयों की भूमिका पर एक व्यावहारिक प्रस्तुति दी। पीजीआई, चंडीगढ़ के डॉ. एस.के. सिन्हा ने आंत के स्वास्थ्य के लिए प्रोबायोटिक्स के चिकित्सीय अनुप्रयोगों पर जोर दिया और डॉ. बसंत कुमार ने हृदय संबंधी बीमारियों के बोझ और प्रबंधन के बारे में बात की। समापन सत्र का समापन प्रोफेसर (डॉ.) आरसी सोबती के समापन भाषण से हुआ, जिसमें वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने में निरंतर सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया। डॉ. नवनीत बत्रा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और आयोजन सचिव डॉ. जसवीन दुआ ने वक्ताओं, प्रतिभागियों और वॉलंटियर्स के अमूल्य योगदान की सराहना की।