चंडीगढ़ । बवासीर के ज्यादातर मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती। अगर सर्जरी की जरूरत होती भी है, तो भी ज्यादातर मरीजों को सर्जरी के चार घंटे के भीतर छुट्टी मिल जाती है। वीडियो प्रॉक्टोस्कोपी के माध्यम से बवासीर का इलाज पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है। वीडियो प्रोक्टोस्कोपी मरीज की मौजूदा हालात रिकॉर्ड किया हुआ विजुअल प्रदान करती है और इसने बवासीर के डायग्नोसिस में क्रांति ला दी है। यह बात सेक्टर 40 सी में स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, तारिनी हेल्थकेयर के फाउंडर व चीफ सर्जन डॉ. हर्ष कुमार अग्रवाल ने एक एडवाइजरी करते हुए कही।
डॉ. हर्ष ने अपनी 25 साल की प्रेक्टिस में, 2,00,000 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया है, जिनमें से सिर्फ 10 प्रतिशत को ही सर्जरी की जरूरत पड़ी है। डॉ. अग्रवाल, दो दशकों से अधिक समय से बवासीर और सर्कमसिजन के लिए एडवांस्ड उपचारों में सबसे आगे रहे हैं। बवासीर के मरीजों की 18,000 से अधिक सफल सर्जरी और 5,000 से अधिक सर्कमसिजन प्रोसेस के प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, डॉ. अग्रवाल ने खुद को अपने क्षेत्र में एक अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया है। उनकी विशेषज्ञता बवासीर के इलाज के सभी आधुनिक तरीकों में फैली हुई है, जिसमें डॉपलर, लेजर, स्टेपलर, हार्मोनिक, इन्फ्रारेड कोएगुलेशन, स्क्लेरोथेरेपी और बैंडिंग शामिल हैं। बवासीर के साथ अपने काम के अलावा, डॉ. अग्रवाल ने 5,000 से अधिक सर्कमसिजन प्रोसीजर्स भी की हैं, जिनमें नवीनतम स्टेपलर सर्कमसिजन शामिल है, जो कम रिकवरी समय और बेहतर सटीकता प्रदान करता है। डाॅ हर्ष ने कहा कि बवासीर के अधिकांश रोगियों को नॉन-सर्जिकल तरीकों से प्रभावी ढंग से इलाज प्रदान किया जा सकता है, जो कम इनवेसिव और अत्यधिक प्रभावी दोनों हैं। उन्होंने कहा कि आम धारणा के विपरीत, बवासीर के इलाज के लिए हमेशा सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। उचित आहार, संतुलित खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ, अधिकांश रोगी सर्जिकल इंटरवेंशन की जरूरत से बच सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जटिल बवासीर आमतौर पर मल त्याग के दौरान दर्द रहित ब्लीडिंग यानि रक्तस्राव के रूप में सामने आता है। अधिक गंभीर मामलों में, मरीजों को मलाशय से बाहर निकलने वाला एक द्रव्यमान, दर्द और खुजली का अनुभव हो सकता है। रक्तस्राव सबसे आम लक्षण है। बवासीर गुदा से लगभग 6 सेमी ऊपर स्थित होता है। इसलिए डायग्नोसिस के लिए प्रोक्टोस्कोपी जांच आवश्यक है। प्रोक्टोस्कोप एक खोखली नली होती है जो कैमरे से जुड़ी होती है, जिससे डॉक्टर बवासीर को देख सकते हैं।
उन्होंने बताया कि कई मरीज अपने इस रोग के बारे में किसी को बताने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और इसका सही से इलाज भी नहीं करवाते हैं। वे इलाज करवाने की बजाय ओवर-द-काउंटर दवाओं पर भरोसा करते हैं, जिससे लंबे समय तक पीड़ा होती है और रोग के उचित उपचार में देरी होती है।