मोहाली । बनूड़-अंबाला मार्ग पर मोहाली जिले के गांव खल्लौर में मात-पिता गौधाम महातीर्थ में बन रहे विश्व के प्रथम मात-पिता मन्दिर में 163वें मासिक भंडारे का आयोजन किया गया जिसमे सैंकड़ों की तादाद मे लोगों ने शिरकत की। ग़ौरतलब है कि यह दुनिया का पहला मात-पिता मन्दिर जिसमें कोई मूर्ति न होकर अपने-अपने माता-पिता में ही भगवान होने का एहसास करेंगे, का निर्माण कार्य बहुत तेज़ी से चल रहा है। हवन यज्ञ व सत्संग के बाद भण्डारा तथा गौ माताओं के लिए सवामणी करवाई गई। इस अवसर पर बोलते हुए संस्थापक गौचर दास ज्ञान चंद वालिया ने कहा कि अपने माता पिता की जय के जयकारे से विश्व में शांति आएगी। विचारक एवं दार्शनिक ज्ञान चंद वालिया ने कहा कि सनातन के श्रेष्ठ विचार विश्व शांति को गहन अध्यन करने के बाद पाया की, हमने तो अपने मूल (बीज) को ही नष्ट कर दिया। पश्चिमी संस्कृति की चका-चौंध से हम ऐसे प्रभावित हुए की हमने एक ऐसा बीज बोया जिसमें ना तो संस्कार थे, ना ही शिक्षा थी, ना ही विनम्रता थी। परिणाम स्वरुप इस बीज का फल भी पश्चिमी संस्कृति का ही होना था, पर यह फल तो उससे भी भयानक निकला । यही कारण है की भारत जैसे सनातनी देश में जहाँ माता-पिता को भगवान समान दर्जा दिया है, उनको मजबूरन वृद्धा आश्रम में रहना पड़ रहा है।
