चंडीगढ़ । पितृ श्राद्ध के अवसर पर गौ भक्ति जनकल्याण सेवा समिति, चंडीगढ़ द्वारा सेक्टर 37 स्थित श्री सनातन धर्म मंदिर धर्मशाला में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा-पितृ मोक्ष महायज्ञ का 11वीं बार आयोजन किया गया, कथा 24 सितम्बर तक आयोजित की जाएगी। कथा से पूर्व पहले दिन सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 37 से विधि विधान के साथ कलश यात्रा का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं व संकीर्तन मंडलियों सहित यह कलश यात्रा इस मंदिर की परिक्रमा करके कथा स्थल पर पहुंची। इस अवसर पर निवासियों ने पुष्प वर्षा कर कलश यात्रा का स्वागत किया। इस कलश यात्रा में कथा व्यास सुरेश शास्त्री (गंगोत्री धाम से ) मौजूद थे।
कथा से पूर्व हरिद्वार से आए अनन्य पाठी ब्राह्मणों द्वारा सभी देवी देवताओं को आहवान किया गया। कथा के प्रथम दिन कथा व्यास सुरेश शास्त्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान की भक्ति के साथ सदकर्म करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भक्ति दिखावे का विषय नही बल्कि मन से होनी चाहिए। भक्ति की परिभाषा जीवन में प्रभु से जुड़ना है, जिससे मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है। ज्ञान, वैराग्य जब कलिकाल में अनेक प्रकार के विकारों से ग्रस्त हो गए तो श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करके विकार मुक्त हो गए। उन्होंने बताया कि 18 पुराणों में श्रीमद् भागवत कथा ही एक मात्र कथा है जो कि पितृ का उद्धार करने का समर्थ रखती है। इसके श्रवण से 21 पीढ़ियां तर जाती है। उन्होंने श्रद्धालुओं को गोकर्ण प्रसंग सुनाया तथा कथा के माध्यम से संदेश दिया कि हमें अपने माता पिता की आज्ञा का पालन, सम्मान करना चाहिए। इस अवसर पर भगवान के मधुर भजन कथा व्यास ने सुनाए, जिसे सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। सभी ने कथा के दौरान भगवान के जयकारे लगाए, जिससे धर्मशाला का परिसर गूंज उठा।