Thursday, May 1, 2025
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ड्राइव करने का लाइसेंस या असहाय सड़क उपयोगकर्ताओं को मारने का लाइसेंस: डॉ. कमल सोई

चंडीगढ़ । भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और प्रणालीगत विफलता के व्यापक आरोपों के बाद पंजाब की ड्राइवर लाइसेंसिंग प्रणाली राष्ट्रीय स्तर पर जांच के घेरे में है। क्षेत्रीय और राज्य परिवहन प्राधिकरणों पर जनता का विश्वास बुरी तरह से डगमगा गया है, और चौंकाने वाले खुलासों ने राज्य भर में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। पंजाब सरकार के परिवहन विभाग के पूर्व उपाध्यक्ष और राहत – द सेफ कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कमल सोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभाग के कामकाज पर सवाल उठाते हुए ड्राइविंग क्षमता परीक्षणों के लिए माइक्रोसॉफ्ट के एचएएमएस (हारनेसिंग ऑटोमोबाइल फ़ॉर सेफ्टी) सिस्टम को तुरंत लागू करने की मांग की। साथ ही, उन्होंने वीडियो साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और अन्य गंभीर आरोपों का सामना कर रहे सभी पुनः नियुक्त स्मार्टचिप कर्मचारियों को निलंबित करने और उन पर मुकदमा चलाने की मांग भी की। डॉ. सोई ने बताया कि 7 अप्रैल 2025 को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने पूरे राज्य में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण कार्यालयों और 32 ड्राइविंग टेस्ट केंद्रों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की। इस कार्रवाई के दौरान घूस लेकर लाइसेंस जारी करने की योजनाओं में शामिल सरकारी अधिकारियों, निजी एजेंटों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। कुल 24 गिरफ्तारियां हुईं और विशिष्ट शिकायतों व सूचनाओं के आधार पर 16 एफआईआर दर्ज की गईं। डॉ. सोई ने कहा कि ऊँचे पदों पर बैठे अधिकारियों में रमणदीप सिंह ढिल्लों को गिरफ्तार किया गया, जबकि प्रदीप सिंह ढिल्लों (आरटीओ मोहाली) और रविंदर कुमार बंसल (आरटीओ एसबीएस नगर) फरार हो गए — जिससे आंतरिक सूचनाओं के लीक होने पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। हैरानी की बात यह है कि विजिलेंस ब्यूरो के पास पर्याप्त सबूत होने के बावजूद इन अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका, जिसके चलते तत्कालीन प्रमुख एसपीएस परमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और अंततः उन्हें दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित निलंबित कर दिया गया। यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं दिखाता, बल्कि यह भी दिखाता है कि आरोपियों को बचाने की कोशिश की गई। डॉ. सोई ने पंजाब के सभी 32 ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैकों के लिए अनुबंधित स्मार्टचिप कंपनी के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि इस कंपनी पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग से छेड़छाड़ की, पुराने टेस्ट की फुटेज को दोबारा इस्तेमाल किया, प्रॉक्सी (दूसरे व्यक्ति) से टेस्ट दिलवाए, एक ही वाहन को बार-बार कई फर्जी आवेदकों के लिए चलाया। उन्होंने कहा कि ऑटोमेशन के नाम पर असल नियंत्रण ऑपरेटरों के हाथ में ही था, जिससे पूरा सिस्टम गड़बड़ियों से भर गया।
डॉ. सोई ने बताया कि हाल ही में स्मार्टचिप कंपनी ने भले ही अपना अनुबंध वापस ले लिया हो, लेकिन पंजाब के परिवहन विभाग ने उसके पुराने कर्मचारियों को दोबारा रख लिया और उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट कराने की वही जिम्मेदारी सौंप दी। इससे यह साफ है कि भ्रष्टाचार का जो पूरा तंत्र था, वह बिना किसी सजा के पहले की तरह ही चलता रहा।
स्मार्टचिप के जाने के बाद भले ही ट्रैकों का संचालन परिवहन विभाग ने खुद संभाल लिया हो, लेकिन सिस्टम में जो गड़बड़ियाँ और कमजोरियाँ पहले से थीं, उन्हें ठीक करने की कोई कोशिश नहीं की गई। ऐसा लगता है कि ये खामियाँ जानबूझकर बनाए रखी गईं ताकि लोग उनका फायदा उठाकर पैसा कमा सकें। डॉ. सोई ने कहा कि जांच से यह पता चला है कि फर्जी उम्मीदवारों के नाम पहले से पास हुए आवेदकों की कॉपी की गई वीडियो से जोड़े गए थे, वाहनों का बार-बार इस्तेमाल किया गया था, लेकिन अलग-अलग आवेदकों के नाम पर, और सरथी पोर्टल पर एक केंद्र पर पंजीकृत आवेदकों का परीक्षण दूसरे केंद्र पर किया गया, जो अक्सर किसी और द्वारा होता था। इसलिए मैं कह रहा हूँ कि इस भ्रष्ट सिस्टम के तहत जो लाखों ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए गए हैं, वे ड्राइविंग का लाइसेंस नहीं, बल्कि मासूम और असहाय सड़क उपयोगकर्ताओं को मारने का लाइसेंस हैं । डॉ. सोई ने स्पष्ट किया कि 2022 में, परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर और अन्य अधिकारी देहरादून स्थित आई डीटीआर का दौरा किया, जहां माइक्रोसॉफ्ट का एचएएमएस सिस्टम ड्राइविंग क्षमता परीक्षणों के लिए इस्तेमाल हो रहा था। एचएएमएस की पूरी तरह स्वचालित, प्रॉक्सी-फ्री और छेड़छाड़-रोधी प्रकृति से प्रभावित होकर मंत्री ने पंजाब में इसे लागू करने का सुझाव दिया और मोहाली में इसका पायलट टेस्ट शुरू करने की घोषणा की। रिवहन विभाग ने इसके कार्यान्वयन की शुरुआत की, आवश्यक सभी बुनियादी ढांचे और तकनीकी उपकरणों की खरीद की, तथा ट्रैक पर नागरिक निर्माण कार्य भी पूरा किया। हालांकि, एचएएमएस सिस्टम को मोहाली में लागू करने के लिए छह महीने से अधिक का समय हो चुका है, फिर भी इसे लॉन्च नहीं किया गया है। पंजाब में मौजूदा लाइसेंसिंग प्रणाली के पूरी तरह से चरमरा जाने के बावजूद सरकार इसे लागू नहीं कर रही है। यहां सवाल उठता है — क्या कुछ स्वार्थी तत्व हैं जो भ्रष्ट तंत्र को बचाने के लिए एचएएमएस को जानबूझकर रोक रहे हैं? अगर ऐसा है, तो इसमें कौन-कौन शामिल हैं? उन्होंने कहा कि एचएएमएस के लागू होने से कई फायदे होंगे, जैसे कि पूरे परीक्षण के दौरान उम्मीदवार की चेहरे की पहचान, प्रॉक्सी ड्राइवर्स को खत्म करना, ड्राइविंग प्रदर्शन का रीयल-टाइम और छेड़छाड़-रोधी वीडियो विश्लेषण, कोई मैन्युअल हस्तक्षेप नहीं, स्वचालित एआई-आधारित स्कोरिंग, जिससे मानव विवेक में कमी आएगी, और प्रत्येक परीक्षण के लिए पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

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