Friday, May 9, 2025
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ड्रग्स का खतरा वैश्विक मुद्दा है, पंजाब को बदनाम करना उचित नहीं: सतनाम सिंह संधू

चंडीगढ़। राज्यसभा सांसद और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक नशा मुक्त भारत के निर्माण के संकल्प में अपना योगदान दें। वे केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासन द्वारा आयोजित “वॉक फॉर ड्रग फ्री चंडीगढ़” अभियान के दौरान बोल रहे थे। इस अवसर पर पंजाब के गवर्नर एवं केन्द्र शासित प्रदेश के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, हरियाणा के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू सहित धार्मिक नेता, समाज सुधारक, एनजीओ कार्यकर्ता, चंडीगढ़ और पंजाब के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटियों के छात्र-छात्राओं ने वॉकथॉन में भाग लिया। यह वॉकथॉन चंडीगढ़ शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरते हुए और चंडीगढ़ के सेक्टर 17 स्थित त्रियांगा पार्क में संपन्न हुई। अपने संबोधन में राज्य सभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का विजन दिया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री का विजन अमृत काल में भारत को नशा मुक्त भारत बनाना भी है ।
इस संबंध में पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया द्वारा निभाई जा रही सक्रिय भूमिका पर बोलते हुए, सतनाम सिंह संधू ने कहा कि पंजाब के गवर्नर ने पंजाब और पूरे क्षेत्र को नशे के खतरे से बचाने के लिए एक नया दृष्टिकोण दिया है जो प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है। नशा मुक्त भारत के लिए, पंजाब के गवर्नर ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को नशे से मुक्त करने की शुरुआत पंजाब की पवित्र धरती से की है जहाँ शहीदों ने देश के लिए अपना खून बहाया है। उन्होंने कहा कि एक शिक्षाविद् के तौर पर मैंने नशीली दवाओं की लत और दुरुपयोग के मुद्दे को बहुत करीब से देखा है और मुझे लगता है कि इसे केवल कानून और व्यवस्था की समस्या के तौर पर देखना सही नहीं है। यह एक सामाजिक मुद्दा है। यह किसी एक राज्य या देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक समस्या है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में नशीली दवाओं के आदी लोगों का प्रतिशत भारत की तुलना में बहुत अधिक है। राज्यसभा सांसद ने कहा कि आज नशे की समस्या ने भारत के हर राज्य को प्रभावित किया है, लेकिन इस समस्या के लिए केवल पंजाब को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। इतनी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद पंजाब ने देश को कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। देश के लिए खिलाड़ियों की अगली पीढ़ी तैयार करने में पंजाब की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रतिष्ठित माका (मौलाना अबुल कलाम आजाद (माका) ट्रॉफी, जो सबसे ज्यादा खेल पदक जीतने वाली यूनिवर्सिटी को दी जाती है, पिछले 35 वर्षों से पंजाब के पास है। उन्होंने कहा कि खेल के किसी भी क्षेत्र में पंजाब के युवाओं का सर्वाधिक योगदान है। क्रिकेट जैसे सबसे लोकप्रिय खेल में हम अर्शदीप सिंह और शुभमन गिल को भारत के लिए खेलते हुए देखते हैं, फिर पंजाब को नशा युक्त राज्य कैसे कहा जा सकता है? पंजाब के युवा पूरी दुनिया के युवाओं से ज्यादा होनहार हैं। पंजाब की धरती बाकी दुनिया से ज्यादा उपजाऊ है, पंजाब का पानी दुनिया में सबसे पवित्र है और पंजाबियों की सोच बाकी दुनिया से अलग है। लेकिन अगर गुरु नानक की धरती पर थोड़ा बहुत नशा है, तो मुझे लगता है कि उसे भी खत्म कर देना चाहिए। नशा विरोधी अभियान शुरू करने से पहले स्थिति का विश्लेषण करने के लिए पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों का दौरा करने के लिए पंजाब के राज्यपाल की सराहना करते हुए सतनाम सिंह संधू ने आगे कहा कि नशे के नाम पर राजनीति की जाती रही है। यह पहली बार है कि सभी दल, समाज के वर्ग और संगठन इस नशा विरोधी अभियान के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने देश को दुनिया के शीर्ष देशों की कतार में ला खड़ा किया है। पीएम मोदी ने न केवल एक नया सपना दिया है, बल्कि उसे साकार करने का रोडमैप भी दिया है। जब वह भारत को नशा मुक्त बनाने का आह्वान करते हैं, तो वह इसके लिए सिर्फ नारे नहीं देते , बल्कि युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक तरीके से दिशा देने के लिए स्टार्टअप इंडिया और खेलो इंडिया जैसी पहल भी देते हैं।”

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