चंडीगढ़। चंडीगढ़ का खेल विभाग एक बार फिर से सवालों के घेरे में हे। स्पोर्ट्स प्लेयर्स पेरेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट आरडी अत्री के साथ अन्य अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि न तो खेल विभाग खेल के लिए काम कर रहा है और न ही खिलाड़ियों के लिए। इस मौके पर चंडीगढ़ की स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी के मेंबर एसके गुप्ता व कई पेरेंट्स मौजूद थे।
आरडी अत्री ने कहा कि हमने कई जानकारी आरटीआई के माध्यम से एकत्रित की है। पहले सेक्टर-17 में फुटबॉल ग्राउंड था, जिसे अब तिरंगा पार्क बना दिया गया है। इसे करीब 11 करोड़ की लागत से बनाया गया और फुटबॉल का ग्राउंड छोटा कर दिया। पहले यहां पर राष्ट्रीय स्तर के मैच होते थे, लेकिन अब अभ्यास मैच भी नहीं हो सके। मैदान नियमानुसार नहीं है और यहां चोट का खतरा बना रहता है। इस मैदान को बदलने की पावर किसी के पास नहीं थी, लेकिन बावजूद इसका नक्शा बदल दिया गया। वहीं, दूसरा आरोप ये है कि विभाग ने हर तरह की सहूलियत खिलाड़ियों को देनी बंद कर दी है। पहले एक्सपोजर टूर दिए जाते थे और शिलारू में हाई-एल्टीट्यूड कैंप के लिए भी बच्चों को भेजा जाता था। दो सालों से ये पूरी तरह से बंद है और किसी तरह का मौका बच्चों को नहीं दिया जा रहा। न तो उन्हें ज्यादा कंपीटिशन मिलते हैं और न ही ऐसे टूर। चंडीगढ़ की एकेडमी ने हॉकी में कई ओलिंपियन और फुटबॉल में 50 से ज्यादा इंटरनेशनल खिलाड़ी दिए हैं।
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि खेल विभाग के पास 8 एकेडमी चल रही हैं और अधिकतर में बच्चे भी पूरे नहीं है। विभाग बच्चों को सिलेक्ट ही नहीं कर रहा, जिस वजह से लगातार वो जगह खाली पड़ी हैं। इन बच्चों को खेल के मैदान या स्कूल तक ले जाने के लिए सिर्फ एक ही बस है, ऐसे में कैसे एक बस सभी बच्चों को लेकर जा पाएगी। इससे चंडीगढ़ का प्रदर्शन गिर रहा है और खेलो इंडिया में चंडीगढ़ 18वें पायदान पर है, जबकि पहले चंडीगढ़ बेहतर था। उन्होंने ये भी कहा कि चंडीगढ़ की हालत ऐसी हो गई है कि एक भी मैदान फुटबॉल के लिए नहीं है। सेक्टर-42 में एकेडमी के बच्चे ही अभ्यास कर सकते हैं और सेक्टर-46 में 400 से ज्यादा बच्चे हैं। ऐसे में कैसे कोई अभिभावक अपने बच्चों को फुटबॉल के साथ जोड़ेगा। सेक्टर-7 का मैदान फुटबॉल के लिए दिया ही नहीं जाता और सेक्टर-46 के मैदान को पेरेंट्स की मदद से खेलने लायक बनाया जा रहा है। ये काम चंडीगढ़ के खेल विभाग का है।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे, तो ही कुछ हो सकता है। पिछले कुछ समय में चंडीगढ़ ने खेलो इंडिया के लाखों रुपए लौटा दिए और उसका यूज ही नहीं किया। ये पैसा बच्चों के लिए आया था जिसे विभाग ने लौटा दिया। न तो चंडीगढ़ में डीएसओ के पद पर कोई है और बड़े अधिकारी व्यस्त इतने है कि काम नहीं हो पा रहा। ऐसे में नुकसान बच्चों का हो रहा है।
इस मौके पर हॉकी चंडीगढ़ के सेक्रेटरी अनिल वोहरा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ को हॉकी इंडिया ने नेशनल की मेजबानी दी है, जिसके मैच सितंबर में होने हैं। कई बार विभाग से जरूरी काम कराने की बात कही गई है, लेकिन अभी तक इस दिशा में काम नहीं हुआ। किसी ने अभी तक चर्चा भी नहीं की है कि ये काम कब और कैसे कराना है। यहां के खिलाड़ी अच्छा करते हैं तो सभी को क्रेडिट मिलता है, तो उनके लिए काम सभी क्यों नहीं कर रहे।