Tuesday, September 17, 2024
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किडनी फेल्योर के हर साल 2.2 लाख नए मरीज, ट्रांसप्लांट केवल 6000 में- डॉ. राका कौशल

चंडीगढ़, 12 अगस्त: “भारत में हर 10 मिनट में एक व्यक्ति अंग प्रत्यारोपण वेटिंग लिस्ट में जुड़ जाता है और अंग के अभाव के हर दिन 20 लोग अपना जीवन खो देते हैं। 3 लाख से ज्यादा मरीज अंगदान का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अंगदान का इंतजार कर रहे 10 फीसदी से भी कम मरीजों को समय पर अंगदान मिल पाता है।“
सोमवार को यहां विश्व अंगदान दिवस की पूर्व संध्या पर एक जागरूकता कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए लिवासा अस्पताल, मोहाली के यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट के वरिष्ठ निदेशक डॉ. अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे देश में हर साल 2.2 लाख नए मरीजों में क्रोनिक किडनी फेल्योर विकसित होता है और यह मृत्यु का छठा सबसे तेजी से बढ़ता कारण भी है, जो 2040 तक 5वां प्रमुख कारण बन सकता है।
अपने विचार साझा करते हुए एसओटीटीओ पंजाब की नोडल अधिकारी व सह संयुक्त निदेशक डॉ. गगनीन कौर संधू ने कहा, “राष्ट्रीय स्तर पर, 1.4 बिलियन लोगों की आबादी के साथ, प्रति मिलियन जनसंख्या (पीएमपी) पर अंग दाताओं के रूप में 0.08 व्यक्ति हैं। दुनिया भर के आँकड़ों की तुलना में यह अविश्वसनीय रूप से छोटी और महत्वहीन संख्या है। हालाँकि अंगदान के मामले में भारत विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है, लेकिन भारत में केवल 0.01 प्रतिशत लोग ही मृत्यु के बाद अंगदान करते हैं। लिवर के बाद किडनी सबसे अधिक आवश्यक अंग है। अंगदान की प्रतीक्षा कर रहे 85% लोगों को किडनी की आवश्यकता होती है और किडनी भारत में सबसे अधिक दान किया जाने वाला अंग है। अंग दान करके, एक मृत दाता व्यक्ति अंग दान के माध्यम से 8 व्यक्तियों की जान बचा सकता है और टिश्यू दान के माध्यम से 50 से अधिक लोगों के जीवन को बढ़ा सकता है।
नेफ्रोलॉजी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. राका कौशल ने कहा, “उन्होंने यह भी कहा कि लिवासा अस्पताल, जो अब पंजाब का सबसे बड़ा सुपर स्पेशियलिटी नेटवर्क है, ने 05 अस्पतालों, 750 बिस्तरों, 280 आईसीयू बिस्तरों के साथ पंजाब में 1200 सफल किडनी प्रत्यारोपण पूरे किए हैं। डॉ राका ने यह भी बताया कि आइवी अस्पताल में हम सभी प्रकार के लिविंग डोनर ट्रांसप्लांट कर रहे हैं, जिसमें उच्च जोखिम वाले ट्रांसप्लांट, बाल चिकित्सा ट्रांसप्लांट स्वैप मामले, एबीओ असंगत ट्रांसप्लांट (गैर रक्त समूह विशिष्ट) और रीडो ट्रांसप्लांट शामिल हैं। यहां तक कि देहरादून, जम्मू, लखनऊ, कानपुर, बिहार, झारखंड, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया जैसे दूर-दराज के इलाकों के मरीजों ने भी लिवासा अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण कराया है।

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