Sunday, December 22, 2024
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कवियित्री निशा लूथरा की हिंदी कविता पुस्तक ‘उन्स’ का हुआ विमोचन

चंडीगढ़ । शहर की जानी मानी कवियित्री निशा लूथरा, जो एक रंगमंच और फिल्म निर्देशक हैं और द नरेटर्स परफॉर्मिंग आर्ट्स सोसाइटी की संस्थापक-निदेशक भी हैं, द्वारा लिखित हिंदी कविता पुस्तक ‘उन्स’ का अलग अलग भाषाओं में विमोचन चंडीगढ़ में हुआ। ‘उन्स’ का विमोचन समारोह चंडीगढ़ के सेक्टर 10 स्थित गर्वनमेंट म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी के ऑडिटोरियम में कई प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी में किया गया। इस अनूठे विमोचन समारोह की शुरुआत निशांत द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाले सितार वादन से हुई और उनके साथ तबले पर दिनेश कुमार ने संगत की। इस संगीतमयी प्रस्तुति ने इस अवसर को और अधिक आकर्षक बना दिया।
इस विमोचन का आयोजन समारोह द नरेटर्स परफॉर्मिंग आर्ट्स सोसाइटी द्वारा द ओम पुरी फाउंडेशन, मुंबई,चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी,पंजाबी लेखक सभा,हरियाणा साहित्य और संस्कृति अकादमी (उर्दू प्रकोष्ठ),द वाइज़ आउल और अभिषेक प्रकाशन द्वारा संयुक्त तौर पर किया गया था। मूल रूप से 2022 में प्रकाशित और जारी की गई, ‘उन्स’ का अनुवाद अब पंजाबी, उर्दू, असमिया, अंग्रेजी और फ्रेंच भाषाओं में किया गया है। ओम पुरी फाउंडेशन की संस्थापक नंदिता पुरी, जो एक पटकथा लेखक हैं और कई किताबें लिख चुकी हैं, ने इस मौके पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि निशा की हिंदी काव्य संग्रह ‘उन्स’ के 5 अलग-अलग भाषाओं में इन अनुवादों का विमोचन करते हुए मैंने सम्मानित महसूस किया । अलग अलग भाषाओं में प्रकाशित होने के बाद इस पुस्तक की पहुंच कई गुना बढ़ जाएगी। यह अवसर भाषाई और काव्य विविधता के समृद्ध ताने-बाने का उत्सव भी था, जिस पर भारत गर्व करता है।
निशा लूथरा ने कहा कि उन्स’ मेरी भावनाओं से युक्त मधुर लय का एक उदाहरण है। ‘उन्स’ का विमोचन 12 मार्च 2022 को हुआ था । जिसके बाद मुझे पंजाबी के महान कवि और लेखक स्वर्गीय सुरजीत पातर से मिलने का मौका मिला। उन्होंने मुझे ‘उन्स’ का पंजाबी अनुवाद शुरू करने के लिए प्रेरित किया। सौभाग्य से सभी अनुवादकों ने मेरी कविताओं को एक संवेदनशील ऊंचाई और उत्कृष्टता प्रदान की। पुस्तकों के पांच अनुवाद पूरे करने में हमें 2 साल लगे। इस मेहनत का परिणाम काफी अच्छा मिला है और यह आपके सामने है।विमोचन समारोह के दौरान पद्मश्री सुरजीत पातर को भी श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने ‘उन्स’ के पंजाबी अनुवाद के लिए प्रस्तावना लिखी थी , वह निशा लूथरा की कविता को काफी पसंद भी करते थे। लूथरा ने भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए पातर के प्रेरक शब्दों को याद किया: “एक पंजाबन को पंजाबी में भी लिखना चाहिए। निशा ने कहा कि पातर का प्रोत्साहन मेरी काव्य यात्रा में एक गाइडिंग लाइट के समान था।
इस मौके पर एक प्रमुख सेशन में ‘ट्रांसलेशन, ट्रांसफॉर्मेशन एंड ट्रांसक्रिप्शन’ पर एक प्रेरक चर्चा शामिल रही , जिसमें निशा लूथरा और उनके अनुवादकों की टीम ने अपने अपने गहन विचार व्यक्त किए। इनमें डॉ. चरणजीत सिंह जिन्होंने पंजाबी में ‘उन्स’ का अनुवाद किया, प्रो. अनवर अंजुम, जिन्होंने पुस्तक का उर्दू में अनुवाद किया,डॉ. रंजीत दत्ता जिन्होंने इसका असमिया में अनुवाद किया,सोनिया चौहान जिन्होंने अंग्रेजी अनुवाद किया, और रूपम सिंह जिन्होंने इस काव्य संग्रह का फ्रेंच में अनुवाद किया, शामिल थे। इस दौरान वहां मौजूद श्रोताओं ने ‘उन्स’ के मूल हिंदी किताब से ली गई कविताओं के पाठ के साथ-साथ सभी अनुवादों से कुछ चयनित कविताओं का आनंद भी लिया। कार्यक्रम में प्रतिष्ठित और जानी मानी हस्तियों ने भी हिस्सा लिया, जिनमें चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के चेयरमैन सुदेश शर्मा; पंजाबी लेखक सभा के प्रेसिडेंट बलकार सिद्धू, हरियाणा उर्दू साहित्य अकादमी के डायरेक्टर डॉ.चंद्र त्रिखा, द वाइज़ आउल की संस्थापक संपादक रचना सिंह और मोटिवेशनल स्पीकर विवेक अत्रे भी शामिल थे। इन सभी को द नरेटर्स परफॉर्मिंग आर्ट्स सोसाइटी, इंडिया के प्रेसिडेंट और ग्रिफ़िथ कॉलेज, आयरलैंड के डीन ऑफ़ एडमिशंस दीपक लूथरा ने सम्मानित किया।
ये शानदार साहित्यक शाम काव्यात्मक भावों की एक कल्चरल मोज़ेक थी, जिसमें गायक प्रेम मूर्ति द्वारा एक आकर्षक संगीतमय सेशन शामिल था, जिनके साथ प्रसिद्ध साउंड हीलर डॉ. अर्पित जोशी और जाने माने पियानोवादक अजय गुप्ता भी थे। समारोह के मास्टर्स ऑफ़ सेरेमनी राजेश अत्रे, भूपिंदर मलिक और निकाशा लूथरा थे जिन्होंने क्रमशः हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी में अपने दिलचस्प किस्सों और कविताओं के साथ मंच संभाला। उत्तर भारत के दस कवियों, जिनकी कविताओं को असम के लेडो पोएट्री कॉन्फ्रेंस में प्रकाशित असमीज़ कविता पत्रिका ‘कब्यध्वनि’में चुना गया था, को भी सम्मानित किया गया। पत्रिका के संपादक डॉ. रंजीत दत्ता और महासचिव जुगेश को भी सम्मानित किया गया। ‘उन्स’ का अलग अलग भाषाओं में विमोचन पूरे विश्व में सांस्कृतिक और भाषाई महामिलन का एक सौंदर्यपूर्ण उदाहरण था।

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