Thursday, October 23, 2025
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इकोसिख पंजाब में लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके गुरु गोबिंद सिंह के पक्षी ‘बाज’ को पुनर्जीवित करने में जुटा

गुरु तेग बहादुर की 350 वीं शहीदी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 350 वन लगाने का लक्ष्य

चंडीगढ़ । इकोसिख, एक ग्लोबल गैर-सरकारी संगठन जो सिख समुदाय को जलवायु परिवर्तन के खतरों और प्राकृतिक पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप के प्रति एक जुट करके इन समस्याओं के समाधान हेतु काम करता है , ने गुरु गोबिंद सिंह से जुड़े पक्षी ‘बाज’ का कुनबा दोबारा से बढ़ाने के उद्देश्य से एक बड़ी योजना का खुलासा किया है। यह योजना मुंबई स्थित 140 साल पुराने संगठन, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के सहयोग से अमल में लाई जाएगी। इस पूरे प्रोजेक्ट का उद्देश्य पंजाब के आधिकारिक पक्षी ‘बाज’ या नॉर्दर्न गौसहॉक और एक अन्य बाज प्रजाति, शाहीन बाज के कुदरती आवास को फिर से आबाद करना है। इकोसिख ने गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत के उपलक्ष्य में 350 वन लगाने का अभियान भी शुरू किया है। ये सभी घोषणाएं चंडीगढ़ के प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गईं
डॉ. राजवंत सिंह, ग्लोबल प्रेसिडेंट, इकोसिख ने कहा कि “गुरु गोबिंद सिंह जी का उड़ता पक्षी, ‘बाज’ लोगों को गरिमा और साहस का जीवन जीने की याद दिलाता था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महान गुरु का यह महत्वपूर्ण प्रतीक और पंजाब का आधिकारिक राज्य पक्षी अब अपने प्राकृतिक आवास के नुकसान, अवैध व्यापार और प्रदूषण के कारण राज्य के आकाश से लुप्त हो गया है। उन्होंने बताया कि चिंता की बात यह है कि पंजाब के वन्यजीव विभाग ने दो दशकों से भी अधिक समय से ‘बाज’ के किसी भी रिकॉर्डेड तौर पर देखे जाने की सूचना नहीं दी है। इसी के चलते राज्य में ‘इकोलॉजिकल बैलेंस’ स्थापित करने और गुरु गोबिंद सिंह से जुड़े इस पवित्र पक्षी को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘बाज’ को पंजाब में वापस लाने की योजना शुरू की गई है। डॉ. राजवंत ने कहा कि इकोसिख में हम बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के साथ अपने समझौता करार करने और आपसी सहयोग की व्यापक योजना को लेकर काफी अधिक उत्साहित हैं, जिसके तहत हम एक महत्वाकांक्षी पवित्र जीव मिशन की शुरुआत करेंगे। यह एक वैज्ञानिक रूप से निर्देशित पहल है और विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोग करके बाज के पुनर्वास और पंजाब भर में उसके खोए हुए आवास को दोबारा से आबाद करेगा। प्रेस वार्ता में इकोसिख ने यह भी घोषणा की कि वह गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहीदी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 350 पवित्र वन लगाएगा, जिनमें से प्रत्येक में मियावाकी पद्धति का उपयोग करके एक देसी लघु वन लगाया जाएगा, जो बंजर भूमि में जैव विविधता को पुनर्जीवित करता है। इकोसिख इंडिया की अध्यक्ष डॉ. सुप्रीत कौर ने कहा कि हम गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि स्वरूप 350 नए पवित्र वन लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रत्येक वन जैव विविधता को पुनर्स्थापित करने और प्रकृति के साथ सिख गुरुओं के साथ सीधे और शाश्वत संबंधों का सम्मान करने वाली एक जीवंत कक्षा के रूप में कार्य करेगा। पिछले 16 वर्षों में, इकोसिख चैरिटेबल सोसाइटी ने पूरे भारत में 1,350 से अधिक पवित्र वन लगाए हैं, जिनमें से प्रत्येक जैव विविधता और आध्यात्मिक चिंतन के जीवंत सैंक्चुअरी के रूप में कार्य करता है। चरण सिंह, कन्वीनर, सैक्रेड फॉरेस्ट्स एंड सैक्रेड फौना , इकोसिख ने कहा कि हमारे गुरुओं के नाम पर वन लगाना वर्षों से हमारी पवित्र परंपरा रही है। पवित्र जीव-जंतु मिशन के साथ, अब हम इस परंपरा को आसमान तक फैला रहे हैं। बाज को फिर से इस एरिया में आबाद करना केवल इकोलॉजिकल काम नहीं है, यह आध्यात्मिक सेवा है, गुरु की ‘सरबत दा भला’ की शिक्षा का नए सिरे से प्रसार है। इकोसिख भी 10 लाख पेड़ लगाने के अपने लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि इसने पंजाब और भारत के अन्य राज्यों में पहले ही 1350 गुरु नानक पवित्र वन लगाए हैं। इस अभियान के दौरान 750,000 देसी पेड़ लगाए गए हैं और प्रत्येक वन में 550 पेड़ हैं। ये पवित्र और हरति अभियान 2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में शुरू किया गया था। इस पहल के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, लोकेश जैन, मैनेजिंग डायरेक्टर, टीके स्टील और शहर को हरा-भरा बनाने के लिए समर्पित इकोसिख परियोजना ‘लंग्स ऑफ लुधियाना’ के संयोजक ने कहा कि “केवल ‘लंग्स ऑफ लुधियाना’ पहल के तहत, हमने लगभग 280 वन लगाए हैं जिनमें 1,52,000 से ज़्यादा देसी पेड़ शामिल हैं। ये वन तेजी से फल-फूल रहे हैं।

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