चंडीगढ़ । टैगोर थिएटर, सेक्टर 18 का मंच उस समय ऐतिहासिक ऊर्जा से भर उठा, जब विवेक हाई स्कूल, मोहाली के छात्र-छात्राओं ने अपनी वार्षिक प्रस्तुति ‘इंकलाब’ के ज़रिए दर्शकों को भारत के आज़ादी के आंदोलन के दौर में लौटा दिया। कक्षा नौवीं के 80 विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत यह नाटक प्रसिद्ध लेखक, गीतकार, अभिनेता और कवि पीयूष मिश्रा की चर्चित किताब ‘गगन दमामा बज्यो’ पर आधारित था। लगभग 1 घंटा 40 मिनट की इस प्रस्तुति ने दर्शकों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उस दौर में पहुंचा दिया, जहां युवा क्रांतिकारियों के विचारों और बलिदानों की गूंज आज भी प्रासंगिक है। इस अवसर पर बोलते हुए विवेक हाई ग्रूप ऑफ़ स्कूलस के प्रशासक विक्रमजीत सिंह मामिक ने कहा कि शिक्षा को पाठ्यपुस्तकों की सीमाओं से कहीं आगे जाना चाहिए – यह विश्वास इस प्रदर्शन में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।

इस प्रस्तुति ने दिखाया कि कैसे सही मार्गदर्शन और समर्पण के साथ, स्कूली छात्र इतिहास को एक भव्य मंच पर जीवंत कर सकते हैं। वीएचएस, मोहाली कि प्रिंसिपल डॉ अमरज्योति चावला ने कहा, “रंगमंच छात्रों को रचनात्मकता, नेतृत्व, आत्मविश्वास और सहानुभूति विकसित करने में मदद करता है । ‘इंकलाब’ के मंचन से विद्यार्थियों में इन गुणों का विस्तार हुआ। छात्रों ने दृढ़ संवाद अदायगी, सशक्त अभिनय और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के ज़रिए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों की आत्मा को मंच पर जीवंत कर दिया। उन्होंने यह साबित किया कि गहन विषयवस्तु को भी समझदारी और समर्पण से प्रस्तुत किया जा सकता है। नाटक ने दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि स्वतंत्रता सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं थी, बल्कि सामाजिक बदलाव की आवश्यकता भी थी। संवादों, गीतों और दृश्यों के माध्यम से यह भावना सामने आई कि आज़ादी का सपना खून, विश्वास और बलिदान से साकार हुआ। वेशभूषा और मंच सज्जा स्वतंत्रता संग्राम के कालखंड को सजीव करने के लिए विशेष रूप से तैयार की गई थी – मिट्टी के रंग, पुराने ज़माने की वस्तुएं और यथार्थवादी प्रकाश संयोजन ने प्रस्तुति को प्रभावशाली बना दिया। नाटक का निर्देशन सार्थक नरूला द्वारा किया गया, जो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के स्नातक हैं और देशभर में अपनी रंगमंचीय पहचान बना चुके हैं। उन्होंने छात्रों के साथ मिलकर इस नाटक को शोध, अभ्यास और गहराई से तैयार किया, जिससे प्रस्तुति एक भावनात्मक और ऐतिहासिक अनुभव बन गई। संगीत का संयोजन अभिषेक कौशल ने किया, जबकि स्वर नवदीप और अनीता बिटालु ने दिए। ध्वनि संयोजन भास्कर ने और ताल वाद्य पर सयान सरकार व राघव ने प्रस्तुति को सजीवता दी। छात्रों की इस प्रस्तुति ने यह सिद्ध कर दिया कि सही मार्गदर्शन और समर्पण से स्कूली छात्र भी बड़े मंच पर इतिहास को जीवंत कर सकते हैं। ‘इंकलाब’ सिर्फ नाटक नहीं, एक ऐसा अनुभव था जिसने दर्शकों के हृदय को छू लिया और स्वतंत्रता के अर्थ को नए दृष्टिकोण से समझाया। दर्शकों ने बार-बार तालियों से इन युवा कलाकारों की अभिनय प्रतिभा को सराहा।
