युवा इनोवेटर शौर्य प्रभ शर्मा ने लॉन्च की “पंजाब इंक” पंजाब की उद्यमशील विरासत का ऐतिहासिक दस्तावेज
चंडीगढ़ । युवा लेखक और इनोवेटर शौर्य प्रभ शर्मा ने बुधवार को चंडीगढ़ में अपनी पहली पुस्तक “पंजाब इंक” को आधिकारिक तौर पर लांच किया। यह पुस्तक पंजाब को टकराव से परिभाषित भूमि नहीं, बल्कि वाणिज्य, उद्यम, विद्यार्थी उद्यमी और इनोवेशन के जरिए विकसित हुई एक सभ्यता के रूप में प्रस्तुत करती है।
सिर्फ 18 वर्ष की उम्र में, शौर्य ने 9वीं शताब्दी से लेकर आधुनिक समय तक के क्षेत्र के व्यापारिक इतिहास को रेखांकित किया है। वह तर्क देते हैं कि पंजाब की दृढ़ता का वास्तविक आधार युद्ध नहीं, बल्कि व्यापार रहा है। पुस्तक यह बताती है कि किस प्रकार हर मुश्किल दौर में कमर्शियल नेटवर्क जीवित रहे और यही भावना आज विश्वभर में फैले पंजाबी समुदाय की पहचान बन गई है । शौर्य बचपन से ही राष्ट्रीय और वैश्विक आर्थिक विकास जैसे विषयों को बड़ी शिद्दत से जानने का प्रयास करते रहें है। पाँचवीं कक्षा से नियमित रूप से अखबार पढ़ने और अनेक बिजनेस फ़ोरम में भाग लेने के कारण वे अपने पहले लेखन में अकादमिक जिज्ञासा और जमीनी उद्यमशीलता—दोनों का अनुभव लेकर आए हैं। उनके पास एक प्लास्टिक इन्सिनरेटर का डिज़ाइन पेटेंट भी है और वे रूट रिच के संस्थापक व निदेशक हैं। इसे उन्होंने स्कूल के दिनों में शुरू किया था और जो बाद में एक स्वतंत्र कंपनी के रूप में विकसित हुआ। पुस्तक के लोकार्पण पर शौर्य ने कहा कि पंजाब के आर्थिक इतिहास को अक्सर नाटकीय घटनाओं ने ढक दिया है, जबकि अस्थिरता के दौर में भी व्यापारिक नेटवर्क आश्चर्यजनक रूप से चलते रहे। ध्यान से देखें तो आप पाएँगे कि निराशा के क्षणों में भी व्यापार फला-फूला। इतिहास लड़ाइयों को याद रखता है, लेकिन बाज़ारों को भूल जाता है। पंजाब इंक साहस, रचनात्मकता और समुदाय की मानसिकता की कहानी है। टकराव ने नहीं, व्यापार ने पंजाब का निर्माण किया। पुस्तक यह दर्शाती है कि किस प्रकार सदियों से वाणिज्य ने पंजाब के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को आकार दिया। पुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय महाराजा रणजीत सिंह के शासन को समर्पित है। यह अध्याय उन्हें केवल सैन्य रणनीतिकार नहीं, बल्कि ऐसे शासक के रूप में चित्रित करता है जो समझते थे कि दीर्घकालिक शांति आर्थिक स्थिरता पर निर्भर है। “शासन केवल सेनाओं या किलों का विषय नहीं था। “यह व्यापार का ढांचा बनाने का प्रयास भी था।” पुस्तक बताती है कि किस तरह रणजीत सिंह के प्रशासन ने व्यापारियों और कारीगरों को संरक्षण दिया और उन्हें सशक्त किया। इन प्रयासों से विभिन्न क्षेत्रों के बीच सुरक्षित और सुनिश्चित व्यापार संभव हुआ। मुल्तान के नील से लेकर अमृतसर की शॉलों और लुधियाना की साइकिलों तक की व्यावसायिक निरंतरता पुस्तक का केंद्रीय विषय है। शौर्य इस विरासत को आज की वैश्विक पंजाबी उद्यमशीलता से जोड़ते हैं—चंडीगढ़ की रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों से लेकर दिल्ली की रिटेल चेन, कैलिफ़ोर्निया की ट्रकिंग कंपनियों और टोरंटो के टेक स्टार्टअप्स तक। पुस्तक में क्षेत्रीय अखबारों के उदय और उन्हें स्थापित करने वाले व्यावसायिक नेताओं पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जो पंजाब के व्यापक कारोबारी जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। शौर्य कहते हैं कि पुस्तक उन मूल्यों को चिन्हित करती है जो वर्षों से पंजाबी व्यावसायिक संस्कृति की पहचान रहे हैं जैसे कि, धैर्य, आतिथ्य और सम्मान। यह इस विश्वास पर आधारित हैं कि “कल एक और फ़सल आएगी, एक और ग्राहक आएगा, एक और अवसर मिलेगा। लेखक के अनुसार, ये मूल्य वह “अदृश्य विरासत” हैं जिन्हें पंजाबी प्रवासी महाद्वीपों के पार अपने साथ ले गए और जिसने पड़ोस की छोटी दुकानों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कंपनियों तक की सफलता की कहानियाँ गढ़ीं। “पंजाब आपको व्यापार करना नहीं सिखाता,वह आपको व्यापार को जीना सिखाता है। शौर्य “पंजाब इंक” को ज्ञात और अज्ञात सभी उद्यमियों—कारीगरों, किसानों, व्यापारियों, प्रकाशकों, आधुनिक उद्योगपतियों और प्रवासी पंजाबी समुदाय—को समर्पित करते हैं, जिनके योगदान ने पंजाब को क्षेत्रीय बाज़ार से वैश्विक व्यापारिक नेटवर्क में परिवर्तित कर दिया।

